शुक्रवार, 31 जनवरी 2014

हिंदी विश्वविद्यालय के कार्यकारी कुलपति प्रो. मनोज कुमार ने संभाला पदभार



महात्‍मा गांधी अंतरराष्‍ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय के कार्यकारी कुलपति के रूप में वरिष्‍ठ प्रोफेसर मनोज कुमार ने बुधवार को पदभार संभाला। पूर्व कुलपति विभूति नारायण राय के कार्यकाल की समाप्ति पर उन्‍होंने प्रो. मनोज कुमार को कार्यकारी कुलपति के रूप में दायित्‍व सौंपा था। इस अवसर पर कुलसचिव डॉ. कैलाश खामरे, वित्‍ताधिकारी संजय गवई, उपकुलसचिव पी. एस. सिंह तथा अधिकारियों एवं शिक्षक, शिक्षकेतर कर्मियों ने प्रो. मनोज कुमार को हार्दिक शुभकामनाएं दी।
प्रो. मनोज कुमार विश्‍वविद्यालय में सन 2007 से महात्‍मा गांधी फ्यूजी गुरुजी शांति अध्‍ययन केंद्र के निदेशक है। उन्‍हें 21 वर्ष तक गांधी अध्‍ययन, अहिंसा तथा शांति अध्‍ययन और समाज कार्य आदि विषयों में अध्‍यापन का अनुभव प्राप्‍त है। वे दिसंबर 2013 से विश्‍वविद्यालय के दूर शिक्षा निदेशालय में निदेशक के रूप में कार्यरत है।  उन्‍होंने 1997 से 2007 तक भागलपुर विश्‍वविद्यालय में अध्‍यापन का कार्य किया है तथा 1991 से 1996 तक इसी विश्‍वविद्यालय में रिसर्च एसोसिएट रहे हैं। वे विश्‍वविद्यालय की कार्यपरिषद के सदस्‍य हैं और उन्‍होंने विश्‍वविद्यालय के कई महत्‍वपूर्ण पदों पर कार्य किया है। 2007 से 2010 तक वे कुलानुशासक भी रहे हैं। उनकी नियुक्ति पर विश्‍वविद्यालय परिवार के सदस्‍यों ने उन्‍हें शुभकामनाएं प्रदान की है।

बुधवार, 29 जनवरी 2014

हिंदी विश्वविद्यालय के कर्मचारियों ने कुलपति विभूति नारायण राय को दी विदाई



महात्‍मा गांधी अंतरराष्‍ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय के कुलपति विभूति नारायण राय को 28 जनवरी को विश्‍वविद्यालय परिवार की ओर से प्रशासनिक भवन में आयोजित एक समारोह में विदाई दी गयी। समारोह में कुलपति राय ने अपने कार्यकारी कुलपति के रूप में विश्‍ववि़द्यालय के वरिष्‍ठ प्रोफेसर मनोज कुमार को कार्यभार सौंपा। इस अवसर पर कुलसचिव डॉ. कैलाश खामरे, श्रीमती पद्मा राय, साहित्‍य विद्यापीठ के अधिष्‍ठाता प्रो. सूरज पालीवाल, नाट्यकला एवं फिल्‍म अध्‍ययन विभाग के अध्यक्ष प्रो. सुरेश शर्मा, शिक्षकेतर कर्मचारी संघ के अध्‍यक्ष विजयपाल पाण्‍डेय मंचासीन थे। समारोह में कुलसचिव डॉ. खामरे द्वारा कुलपति राय तथा पद्मा राय का पुष्‍पगुच्‍छ, शॉल एवं स्‍मृतिचिन्‍ह प्रदान कर सम्‍मान किया गया।
    
  समारोह से पूर्व कुलपति राय के पांच वर्ष 3 महीने के कार्यकाल के विकास कार्यों पर बनी ‘युगन युगन हम योगी’ नामक फिल्‍म का प्रदर्शन किया गया। इस दौरान कुलपति राय ने अपने कार्यकाल के बारे में कहा कि पिछले पांच वर्षों में विश्‍वविद्यालय का विकास तेज गति से हुआ है। अनेक प्रकार की भौगोलिक कठिनाईयों के बावजूद सभी के सहयोग से विश्‍वविद्यालय विकास के पथ पर अग्रसर हुआ है। उन्‍होंने कहा कि वर्धा शब्‍दकोश और समाज विज्ञान विश्‍वकोश हमारी खास उपलब्धि रही है। हमने ज्ञान के उत्‍पादन की कोशिश करते हुए विश्‍वविद्यालय को आवासीय बनाया। विदेशी विश्‍वविद्यालयों के साथ हमने समन्‍वयक की भूमिका लेकर एक बड़ा काम किया है।
      भविष्‍य की योजनाओं का जिक्र करते हुए उन्‍होंने कहा कि मुझे लगता है कि समाज विज्ञान के विषयों पर अधिक ध्‍यान देना चाहिए। मेडिकल, इंजीनियरिंग और कानून जैसे विषय यहां हिंदी में पढाए  जाने चाहिए। उन्‍होंने कहा कि मैं यहां से जाकर नेक्‍स्‍ट इंनिंग शुरू करूंगा और साम्‍प्रदायिकता जैसे विषयों पर लिखूंगा। शिक्षकों और छात्रों को अपनी मेहनत और लगन से शिक्षा के स्‍तर को ऊंचा उठाना चाहिए ताकि हम शिक्षा के क्षेत्र में और अधिक अग्रसर हो सके। इस अवसर पर प्रो. सूरज पालीवाल, प्रो. मनोज कुमार और कुलसचिव डॉ. कैलाश खामरे ने भी कुलपति राय के कार्यकाल में हुए विकास कार्यों की सराहना की। समारोह का संचालन प्रो. सुरेश शर्मा ने किया तथा धन्‍यवाद ज्ञापन जनसंपर्क अधिकारी बी. एस. मिरगे ने किया। इस अवसर पर विश्‍वविद्यालय के वित्‍ताधिकारी संजय गवई, उपकुलसचिव पी. एस. सिंह, कादर नवाज खान समेत वरिष्‍ठ अध्‍यापक, अधिकारी, कर्मी एवं छात्र बड़ी संख्‍या में उपस्थित थे। 

हिंदी-उर्दू के मिलाप से बनेगी जनता की भाषा


हिंदी विवि में ‘अदम की कविता : जनरुचि और पठनीयता का संदर्भ’ विषय पर राष्‍ट्रीय संगोष्‍ठी का उदघाटन संपन्‍न



हिंदी और उर्दू भाषा के मिलाप से जनता की भाषा बन सकती है और हमें उसी को अपनाना चाहिए। कवि अदम गोंडवी ने अपनी कृतियों के माध्‍यम से नई भाषा देकर एक समृद्ध परंपरा की नींव डाली। उक्‍ताशय के विचार प्रख्‍यात कवि एवं उत्‍तर प्रदेश हिंदी संस्‍थान, लखनऊ के कार्यकारी अध्‍यक्ष उदयप्रताप सिंह ने व्‍यक्‍त किये। वे महात्‍मा गांधी अंतरराष्‍ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय में विश्‍वविद्यालय के साहित्‍य विभाग एवं उत्‍तर प्रदेश हिंदी संस्‍थान, लखनऊ के संयुक्‍त तत्‍वावधान में ‘अदम की कविता : जनरुचि और पठनीयता का संदर्भ’ विषय पर आयोजित राष्‍ट्रीय संगोष्‍ठी के उदघाटन समारोह में बतौर मुख्‍य अतिथि बोल रहे थे। समारोह की अध्‍यक्षता विश्‍वविद्यालय के कुलपति विभूति नारायण राय ने की। दो दिवसीय राष्‍ट्रीय संगोष्‍ठी का उदघाटन मंगलवार दि. 28 को विश्‍वविद्यालय के हबीब तनवीर सभागार में  संपन्‍न हुआ। समारोह में उदघाटक के रूप में केदारनाथ सिंह, बीज वक्‍ता के रूप में कथाकार दूधनाथ सिंह तथा उत्‍तर प्रदेश हिंदी संस्‍थान, लखनऊ के निदेशक सुधाकर अदीब, साहित्‍य विद्यापीठ के अधिष्‍ठाता प्रो. सूरज पालीवाल मंचासीन थे।
उदय प्रताप सिंह ने कहा कि मैं हिंदी और उर्दू के भेद को अस्वीकार करता हूं। भविष्‍य में हिंदी का स्‍वरूप बदलेगा और वह विश्‍वपटल पर अपना प्रभाव डालेगी। उन्‍होंने कुलपति राय को संगोष्‍ठी के आयोजन के लिए धन्‍यवाद देते हुए कहा कि उनकी वजह से हिंदी के तीर्थ को देखने का मौका मिला।  संगोष्‍ठी का उदघाटन केदारनाथ सिंह द्वारा किया गया। अपने उदघाटन वक्‍तव्‍य में उन्‍होंने कहा कि गोंडा में शायरों की लंबी परंपरा रही है। यहां पर असगर गोंडवी और जिगर मुरादाबादी जैसे शायरों ने अपनी प्रतिभा बिखेरी। इस परिदृश्‍य में अदम ने परंपरा को बदलने का काम किया है। उन्‍होंने ग़ज़ल के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ग़ज़ल दुनिया की सबसे अच्‍छी काव्‍यविधा है। स्‍पेन और यूरोप में ग़ज़ल की लंबी परंपरा रही है। वह अरब से चलकर भारत आयी है। हिंदी ग़ज़ल सौ वर्ष पूर्व से लिखी जाती रही है। दुष्‍यत कुमार ने हिंदी ग़ज़ल को ऊर्जा दी और प्रख्‍यात कवि शमशेर बहादुर सिंह ने उसे आगे बढ़ाया। बीज वक्‍तव्‍य में कथाकार, आलोचक एवं कवि दूधनाथ सिंह ने कहा कि हिंदी कविता की दो स्थितियां हैं, कविता को जनता के धरातल पर लाया जाये या जनता को कविता के धरातल पर लाया जाये। इन दोनों स्थितियों के खतरे हैं। उन्‍होंने कहा कि हिंदी ग़ज़ल की कोई परंपरा नहीं है परंतु प्रगतीशीलता को ग़ज़ल के रूप में बांधकर व्‍यक्‍त करने की एक परंपरा रही है। अदम ने ग़ज़ल के फॉर्म को एक मठ में ग्रहण किया और चर्चित रचनाएं लिखीं।
अध्‍यक्षीय उदबोधन में कुलपति विभूति नारायण राय ने कहा कि ‘जनसत्‍ता‘ में छपी अदम गोंडवी की कविता से मैं काफी प्रभावित हुआ था। तबसे उनसे मिलने की तमन्‍ना दिल में थी। सन 1983 में उनसे मिलने गोंडा गया और वहां से गोंडवी से मुलाकात का दौर शुरू हुआ। उनसे ग़ज़ले सुनने के कई अवसर मिले। वे एक अदभूत कवि थे। अपने वक्‍तव्‍य में कुलपति राय ने सभी अतिथियों तथा प्रतिभागियों का स्‍वागत किया।
अतिथियों का स्‍वागत साहित्‍य विद्यापीठ के अधिष्‍ठाता प्रो. सूरज पालीवाल ने किया। उन्‍होंने कहा कि किसी विश्‍वविद्यालय में अदम गोंडवी पर आयोजित यह पहली राष्‍ट्रीय संगोष्‍ठी है। इस संगोष्‍ठी में चार सत्रों में अदम की कविता और शायरी के समक्ष उपस्थित प्रश्‍नों के उत्‍तर तलाशने की कोशिश की जाएगी। समारोह के प्रारंभ में साहित्‍य विभाग के छात्रों द्वारा विश्‍वविद्यालय का कुलगीत प्रस्‍तुत किया गया। अतिथियों का स्‍वागत सूत की माला और स्‍मृतिचिन्‍ह प्रदान कर किया गया। समारोह का संचालन साहित्‍य विभाग के अध्‍यक्ष प्रो. के. के. सिंह ने किया तथा धन्‍यवाद ज्ञापन उत्‍तर प्रदेश हिंदी संस्‍थान के निदेशक सुधाकर अदीब ने किया। 
समारोह में प्रो. गंगाप्रसाद विमल, वरिष्‍ठ कथाकार डॉ. विजय मोहन सिंह, से. रा. यात्री, आवासीय लेखक ऋतुराज, प्रो. देवराज, प्रो. अनिल कुमार राय, प्रो. हनुमानप्रसाद शुक्‍ल, प्रो. सुरेश शर्मा, प्रकाश चंद्रायन, डॉ. नृपेंद्र प्रसाद मोदी, दिनेश कुशवाह, संगोष्‍ठी के संयोजक डॉ. बीर पाल सिंह यादव, आदि समेत प्रतिभागी, विश्‍वविद्यालय के अध्‍यापक एवं छात्र प्रमुखता से उपस्थित थे।
पोस्‍टर प्रदर्शनी का उदघाटन :-
उदघाटन समारोह के पूर्व हबीब तनवीर के प्रांगण में प्रदर्शित भव्‍य पोस्‍टर प्रदर्शनी का उदघाटन उत्‍तर प्रदेश हिंदी संस्‍थान, लखनऊ के कार्यकारी अध्‍यक्ष उदयप्रताप सिंह द्वारा फीता काटकर किया गया। प्रदर्शनी में विश्‍वविद्यालय की शोधार्थी मेघा आचार्य और अंशू सिंह आशु द्वारा बनाये गये पोस्‍टर प्रदर्शित किये गये। प्रदर्शनी को देखकर डॉ. विजय मोहन सिंह ने टिप्‍पणी करते हुए कहा कि पोस्‍टर में लिखे शेर और उसे बयां करती पेन्टिंग अदभूत है। उन्‍होंने चित्रकारों की कला की सराहना की।  

बुधवार को अदम की कविताओं की रंग प्रस्‍तुति और हिंदी ग़ज़ल की परंपरा पर होगी चर्चा
राष्‍ट्रीय संगोष्‍ठी में बुधवार को पूर्वाहन 10.00 बजे से ‘हिंदी गजल की परंपरा में अदम’ पर आयोजित सत्र की अध्‍यक्षता दूधनाथ सिंह करेंगे। सत्र में प्रो. गोविंद प्रसाद आधार वक्‍तव्‍य देंगे। वक्‍ता के रूप में डॉ. अखिलेश कुमार राय, डॉ. दिलीप शाक्‍य एवं डॉ. रामानुज अस्‍थाना अपने विचार रखेंगे। सत्र का संचालन डॉ. अशोक नाथ त्रिपाठी करेंगे। संगोष्‍ठी का तीसरा सत्र ‘अदम की राजनैतिक चेतना’ विषय पर पूर्वाहन 12.00 बजे सुधाकर अदीब की अध्‍यक्षता में होगा। जिसमें प्रो. सूरज पालीवाल आधार वक्‍तव्‍य देंगे। वक्‍ता के रूप में दिनेश कुशवाह, माणिक मृगेश, डॉ. अनिल कुमार सिंह, डॉ. रामप्रकाश यादव उपस्थित रहेंगे। सत्र का संचालन डॉ. जयप्रकाश राय धूमकेतु करेंगे। संगोष्‍ठी का चौथा सत्र ‘समकालीन कविता और अदम’ विषय पर 2.30 बजे से होगा जिसकी अध्‍यक्षता प्रो. गोविंद प्रसाद करेंगे तथा डॉ. गजेंद्र पाठक आधार वक्‍तव्‍य देंगे। सत्र में डॉ. अनिल कुमार सिंह, डॉ. अनवर अहमद सिद्दीकी, डॉ. बीर पाल सिंह यादव वक्‍तव्‍य देंगे। सत्र का संचालन रूपेश कुमार सिंह करेंगे।
अगला सत्र सायं 4.15 बजे ‘अदम की कविता : विविध आयाम’ विषय पर होगा जिसकी अध्‍यक्षता प्रो. दिनेश कुशवाह करेंगे। इस सत्र में शोध आलेख वाचन होगा। सत्र का संचालन डॉ. रामानुज अस्‍थाना करेंगे। बुधवार को 6.30 बजे कवि गोष्‍ठी होगी जिसकी अध्‍यक्षता उदयप्रताप सिंह करेंगे। इस अवसर पर जमुना प्रसाद उपाध्‍याय, ऋतुराज, प्रो. गोंविद प्रसाद, माणिक मृगेश, प्रो. दिनेश कुशवाह, डॉ. प्रीति सागर एवं सागर त्रिपाठी काव्‍य पाठ करेंगे। संचालन डॉ. दिलीप शाक्‍य करेंगे तथा आभार ज्ञापन राष्‍ट्रीय संगोष्‍ठी के संयोजक डॉ. बीर पाल सिंह यादव करेंगे।

गुरुवार, 16 जनवरी 2014

हिंदी विवि में कर्मचारी सहकारी साख संस्था द्वारा स्‍वास्‍थ्‍य पर कार्यशाला



महात्‍मा गांधी अंतरराष्‍ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय के कर्मचारी सहकारी साख संस्‍था द्वारा कैसे रखें स्‍वयं को चुस्‍त-दुरूस्‍त विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन दि. 15 जनवरी को हबीब तनवीर सभागार में किया गया। इस कार्यशाला में विषय विशेषज्ञ के रूप में मास्‍टर ऑफ फिजियोथेरेपी (कार्डियो) के डॉ. रविश टावरी एवं मास्‍टर ऑफ फिजियोथेरेपी (स्‍पोर्ट्स), मुंबई के डॉ. मनीष धाबलिया उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्‍यक्षता साख संस्‍था के अध्‍यक्ष डॉ. अनिल कुमार दुबे ने की। कार्यक्रम में कुलसचिव डॉ. कैलाश खामरे की विशेष उपस्थिति रही।  
 
डॉ. रविश टावरी ने बताया कि वजन कम करना ही शारीरिक स्‍वास्‍थ्‍य का पैमाना नहीं है। स्‍वस्‍थ रहने के लिए उचित और नियमित व्‍यायाम करना आवश्‍यक है। उन्‍होंने पावर प्‍वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्‍यम से शारीरिक स्‍वास्‍थ्‍य के संबंध में टिप्‍स दिये।
   डॉ. मनीष धाबलिया ने कहा कि कामकाजी लोगों के लिए काम के दौरान चंद मिनिटों की स्‍ट्रेचिंग मांसपेशियों का आराम पहुचांकर व्‍यक्ति की कार्यक्षमता बढ़ाती है। उन्‍होंने विविध अंगों के लिए स्‍ट्रेचिंग के प्रात्‍यक्षिक प्रस्‍तुत किये तथा उपस्थितों से भी करवाये। कार्यशाला के आयोजन में साख संस्‍था के सचिव राजेश अरोड़ा तथा संचालक मंडल की सदस्‍यों की महत्‍वपूर्ण भूमिका रही। कार्यशाला की प्रस्‍तावना व अतिथियों का परिचय डॉ. अनिल कुमार दुबे ने किया तथा धन्‍यवाद ज्ञापन डॉ. अनवर अहमद सिद्दीकी ने किया।

बुधवार, 15 जनवरी 2014

हिंदी को विश्व भाषा बनाने में मीडिया की बड़ी भूमिकाः प्रो. जी गोपीनाथन



मलयालम और हिंदी के वरिष्ठ साहित्यकार तथा महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. जी. गोपीनाथन ने कहा है कि हिंदी विश्वभाषा है और उसे विश्वभाषा बनाने में मीडिया की बड़ी भूमिका रही है। प्रो. गोपीनाथन आज महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के कोलकाता केंद्र में मीडिया और हिंदी पर विशेष व्याख्यान दे रहे थे। उन्होंने कहा कि आधुनिक काल में सर्वप्रथम गांधी जी ने हिंदी में इंडियन ओपिनियन अखबार निकालकर हिंदी की विश्व भूमिका की नींव रखी थी। बाद में मस्क्वा से लेकर जर्मन और बीबीसी रेडियो के हिंदी कार्यक्रम पूरी दुनिया में सुने जाने लगे। इसी तरह हिंदी सिनेमा भी पूरी दुनिया में देखा जाता रहा है। अब इंटरनेट हिंदी के वैश्वीकरण को नई गति दे रहा है।
प्रो. गोपीनाथन ने कहा कि हिंदी विश्व संचार की भाषा है। वह जोड़नेवाली भाषा है। भक्ति साहित्य को दक्षिण से पूरे भारत में लाने का श्रेय हिंदी को ही है। अनेक अहिंदीभाषियों ने हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए अनथक प्रयास किए और हिंदी की सेवा भी की। व्याख्यान के बाद वेब पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा पाठ्यक्रम के विद्यार्थियों-अंबरीन अरशद, करुणा गुप्ता, नीरु कुमारी सिंह, फातिमा कनीज, विनय कुमार प्रसाद, अभिषेक कुमार शर्मा और अमित कुमार राय द्वारा पूछे गए प्रश्नों के जवाब भी प्रो. गोपीनाथन ने दिए।
प्रो. गोपीनाथन के व्याख्यान पर प्रो. केएम मालती, प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय के एसिस्टेंट प्रोफेसरद्वय डा. वेदरमण और डा. जय कौशल ने संक्षिप्त टिप्पणियां भी कीं। व्याख्यान के पूर्व प्रो. गोपीनाथन का सन्मार्ग के संपादक हरिराम पांडेय, दैनिक जागरण के कोलकाता संस्करण के प्रभारी रवि प्रकाश, डा. वेदरमण, जया तिवारी तथा आफरीन जमान द्वारा सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन सोनी कुमारी सिंह ने किया। स्वागत भाषण कोलकाता केंद्र के प्रभारी डा. कृपाशंकर चौबे और धन्यवाद ज्ञापन सहायक क्षेत्रीय निदेशक डा. प्रकाश त्रिपाठी ने किया।