मंगलवार, 29 अप्रैल 2014

सौंदर्यशास्त्र को हिंदुस्तानी नजरिए से देखें – प्रो. नामवर सिंह



हिंदी विश्‍वविद्यालय में दिया ‘भारतीय और पाश्‍चात्‍य सौंदर्यशास्‍त्र का स्‍वरूप’ विषय पर व्‍याख्‍यान

प्रख्‍यात आलोचक प्रो. नामवर सिंह ने कहा है कि सौंदर्यशास्‍त्र की परिभाषा करने के संदर्भ में भारतीय काव्‍य शास्‍त्रीय चिंतन को आधार बनाना बहुत जरूरी है। इस चिंतन के आधार पर ही सौंदर्यशास्‍त्र संपूर्णता में परिभाषित हो सकता है। प्रो. सिंह महात्‍मा गांधी अंतरराष्‍ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय के सृजन विद्यापीठ में बुधवार को ‘भारतीय और पाश्‍चात्‍य सौंदर्यशास्‍त्र का स्‍वरूप’ विषय पर व्‍याख्‍यान दे रहे थे। कार्यक्रम की अध्‍यक्षता विश्‍वविद्यालय के कुलपति प्रो. गिरीश्‍वर मिश्र ने की। समारोह में कुलपति द्वारा आठ साल तक विश्‍वविद्यालय के कुलाधिपति रहे प्रो. नामवर सिंह को प्रशस्ति पत्र एवं एलबम भेटकर सम्‍मानित किया।
प्रो. नामवर सिंह ने कहा कि सौंदर्यशास्‍त्र को जीवन से जोड़कर देखने की जरूरत है। ऐसा करके ही हम सौंदर्यशास्‍त्र संबंधी चिंतन में आए गतिरोध को दूर कर सकते हैं।
अध्‍यक्षीय उदबोधन में कुलपति प्रो. गिरीश्‍वर मिश्र ने कहा, सौंदर्यशास्‍त्र संवेदना और आस्‍वादन पर विचार करने वाला विषय है। जटिल जीवन में सौंदर्यशास्‍त्र की परिधि व्‍यापक होनी चाहिए। सृजन विद्यापीठ के अधिष्‍ठाता प्रो. सुरेश शर्मा ने कहा कि प्रो. नामवर सिंह ने पिछले 65 वर्षों में सौंदर्यशास्‍त्र को परिभाषित करने के लिए लगातार प्रयास किए हैं। उन्‍होंने नामवर जी के महत्‍वपूर्ण उद्धरण प्रस्‍तुत कर सौंदर्य संबंधी उनकी अवधारणा स्‍पष्‍ट की। विदित हो कि भारतीय एवं पाश्‍चात्‍य कला एवं सौंदर्यशास्‍त्र पाठ्यक्रम के प्रारूप का निर्माण डॉ. शिवप्रिय ने विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग को प्रस्‍तुत किया था और इस कार्यक्रम को विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग ने अनुमोदित कर विभाग की स्‍थापना हेतु वित्‍तीय सहायता प्रदान की थी।
कार्यक्रम के दौरान कला आयाम के संयोजक ज्‍योतिष पायेंग द्वारा प्रो. नामवर सिंह का बनाया पोट्रेट कुलपति प्रो. मिश्र ने प्रो. सिंह का भेट किया। प्रो. नामवर सिंह का स्‍वागत प्रो. संतोष भदौरिया विजयपाल पांडे, भारतीय एवं पाश्‍चात्‍य कला एवं सौंदर्यशास्‍त्र पाठ्यक्रम के सहायक संयोजक डॉ. शिपप्रिय, अविचल गौतम ने पुष्‍पगुच्छ देकर किया। कार्यक्रम का संचालन प्रो. सुरेश शर्मा ने किया तथा आभार कुलसचिव प्रो. देवराज ने माना। इस अवसर पर वित्‍ताधिकारी संजय गवई, अधिष्‍ठाता प्रो. मनोज कुमार, प्रो. सूरज पालीवाल, प्रो. हनुमान प्रसाद शुक्‍ल, प्रो. अनिल कुमार राय, प्रो. के. के. सिंह, राजेंद्र मुंढे सहित अध्‍यापक, अधिकारी, शोधार्थी एवं छात्र बड़ी संख्‍या में उपस्थित थे।

2 टिप्‍पणियां:

  1. सिर्फ हिन्दीप्रेमियों के लिए
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  2. सौन्दर्य शास्त्र का क्या कोई सर्व मान्य हिन्दुस्तानी नजरिया है?

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