हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति विभूति नारायण राय को फणीश्वर नाथ रेणु साहित्य सम्मान घोषित
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय,
वर्धा के कुलपति तथा प्रसिद्ध साहित्यकार विभूति नारायण राय को 2012 का राष्ट्रीय
स्तर का फणीश्वर नाथ रेणु साहित्य सम्मान देने का निर्णय कला, संस्कृति तथा
साहित्य संस्थान, बटोही द्वारा लिया गया है। कुलपति राय को यह पुरस्कार 25 और
26 अक्तूबर 2012 को सहरसा में आयोजित होने वाले एक भव्य अंतरराष्ट्रीय महोत्सव
में प्रदान किया जाएगा। पुरस्कार स्वरूप स्मृति चिन्ह, अंगवस्त्र तथा एकतीस
हजार रूपये प्रदान किये जाएंगे।
कला,
संस्कृति तथा साहित्य संस्थान, बटोही द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा
गया है कि विभूति भूषण मुखोपाध्याय, सतीनाथ भादुरी, बालयचंद बनफूल, अनूपलाल मण्डल,
राजकमल चौधरी तथा फणीश्वर नाथ रेणु जैसे साहित्यकारों की कर्मभूमि कोसी अंचल के साहित्य तथा संस्कृति के संरक्षण
के लिये प्रतिबद्ध संस्थान, बटोही की स्थापना स्थानीय साहित्य तथा कला
प्रेमियों द्वारा 1912 में की गयी। बटोही ने कोसी अंचल के साहित्यकार अनूपलाल मण्डल,
राजकमल चौधरी तथा फणीश्वर नाथ रेणु के नाम पर राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार की
योजना आरंभ की है। प्रेस विज्ञप्ति में आगे कहा गया है कि परामर्शदात्री समिति ने
वर्ष 2012 का फणीश्वर नाथ रेणु साहित्य सम्मान प्रसिद्ध साहित्यकार तथा वर्धा
स्थित महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति विभूति
नारायण राय को देने का निर्णय लिया गया है। प्रतिष्ठा का यह पुरस्कार हिंदी कथा
साहित्य के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए प्रदान किया जाता है।
२८ नवम्बर, १९५१ को जिला आज़मगढ़
(उत्तर प्रदेश) में जन्मे विभूति नारायण राय १९७५ बैच के यू.पी.कैडर के आई.पी.एस.
अधिकारी हैं। विशिष्ट सेवा के लिये राष्ट्रपति पुरस्कार तथा पुलिस मैडल से
सम्मानित राय एक संवेदनशील पुलिस अधिकारी के साथ-साथ प्रगतिशील चिंतक तथा एक
उच्चकोटि के कथाकार के रूप में भी जाने जाते रहे हैं। उनके द्वारा लिखित ‘घर’, ‘शहर में कर्फ्यू’, ‘प्रेम की भूतकथा’ तथा ‘किस्सा लोकतंत्र’ हिन्दी का बहुचर्चित उपन्यास है। ‘शहर में कर्फ्यू’ हिंदी के अलावा
अंग्रेजी, पंजाबी, उर्दू, बांग्ला, मराठी आदि भाषाओं में अनूदित हो चुका है। ‘तबादला’ पर उन्हें
अंतर्राष्ट्रीय इंदु शर्मा कथा सम्मान तथा ‘किस्सा लोकतंत्र’ के लिये उन्हें उत्तर
प्रदेश हिन्दी संस्थान का सम्मान प्राप्त हुआ है। उपन्यासों के अलावा उनका
व्यंग्य-संग्रह ‘एक छात्र-नेता का
रोजनामचा’ और संस्मरण ‘हाशिमपुरा :
उत्तर प्रदेश पुलिस के इतिहास का एक काला
अध्याय’ बहुचर्चित रचनाएँ हैं। हिन्दी जगत की चर्चित पत्रिका ‘वर्तमान साहित्य’ के पंद्रह वर्षों तक संपादन के साथ ‘समकालीन हिंदी कहानियाँ’ का सम्पादन
उनका उल्लेखनीय कार्य है। उन्हें मिले इस सम्मान पर साहित्य जगत की हस्तियों
तथा विश्वविद्यालय परिवार ने उन्हें बधाई दी है तथा उनका अभिनंदन किया है।
हर्षित, आनंदित और उत्साहित करने वाली सूचना । वर्धा हिंदी शब्दकोश परियोजना की ओर से हार्दिक बधाई...
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