सोमवार, 24 दिसंबर 2012


हिंदी विश्‍वविद्यालय में प्रो. असगर वजाहत ने बनाया कोलाज

महात्‍मा गांधी अंतरराष्‍ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय में हिंदी के बहुचर्चित उपन्‍यासकार, नाट्यकार एवं चित्रकार प्रो. असगर वजाहत ने विश्‍वविद्यालय के गांधी हिल्‍स पर आकर्षक कोलाज बनाकर अपनी कला का प्रदर्शन किया। उन्‍होंने पत्र पत्रिकाओं की पुरानी कतरनों का इस्‍तेमाल कर एक ऐसा कोलाज बनाया जो एक चित्र के रूप में सामने आया। कोलाज को और आकर्षक एवं जीवंत बनाने के लिए उन्‍होंने जल रंगों का भी प्रयोग किया। यह कोलाज विश्‍वविद्यालय के आगामी 15वें स्‍थापना दिवस (29-31 दिसंबर 2012) तथा ‘हिंदी का दूसरा समय’ समारोह के अवसर पर दर्शकों के लिए प्रदर्शित किया जाएगा। इस अवसर पर उन्‍होंने चित्रकला एवं कोलाज बनाने की कला पर चर्चा भी की।
यह प्रदर्शन विश्‍वविद्यालय के कुलपति विभूति नारायण राय की संकल्‍पना एवं दिशानिर्देशानुसार सहायक कुलसचिव ज्‍योतिष पायेंग के संयोजन में गांधी हिल्‍स पर प्रात: 7 से 9 बजे के दौरान किया गया। इस दौरान कुलपति विभूति नारायण राय, कहानीकार से. रा. यात्री, साहित्‍य विद्यापीठ के अधिष्‍ठाता प्रो. सूरज पालीवाल, संचार एवं मीडिया अध्‍ययन केंद्र के निदेशक प्रो. अनिल के. राय, साहित्‍य विभाग के अध्‍यक्ष प्रो. के. के. सिंह, डॉ. प्रीति सागर, हंगरी की मारिया नेगेसी, सहायक प्रोफेसर अमित राय, जनसंपर्क अधिकारी बी एस मिरगे, शोधार्थी हिमाद्री पायेंग, चित्रलेखा अंशु, प्रतिभा, शिल्‍पा प्रमुखता से उपस्थित थे।

रविवार, 23 दिसंबर 2012


विदेशी विश्‍वविद्यालयों के लिए हिंदी का मानक पाठ्यक्रम तैयार

हिंदी विश्‍वविद्यालय की अनूठी पहल

अनुस्‍तरित मानक पाठ्यक्रम निर्माण कार्यशाला का समापन

महात्‍मा गांधी अंतरराष्‍ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय द्वारा विदेशी विश्‍वविद्यालयों के लिए बनाए गये हिंदी के मानक पाठ्यक्रम कुछ ही दिनों में पूरे विश्‍व के लिए हिंदी विश्‍वविद्यालय की वेबसाइट के माध्‍यम से खुले होंगे। विश्‍व में जहॉं भी हिंदी का अध्‍ययन-अध्‍यापन होगा वहॉं हिंदी विश्‍वविद्यालय के पाठ्यक्रम उपयोगी सिद्ध होंगे। उक्‍त मंतव्‍य विश्‍वविद्यालय के कुलपति विभूति नारायण राय ने व्‍यक्‍त किये। विश्‍वविद्यालय में विगत 11 दिसंबर से विदेशी विश्‍वविद्यालयों के अध्‍यापकों के लिए आयोजित अनुस्‍तरित मानक पाठ्यक्रम निर्माण कार्यशाला का समापन शुक्रवार को हुआ। इस अवसर पर कुलपति राय बतौर समारोह के अध्‍यक्ष के रूप में अपनी बात रख रहे थे। समारोह में प्रतिकुलपति एवं विदेशी शिक्षण प्रकोष्‍ठ के प्रभारी प्रो. ए. अरविंदाक्षन, कुलसचिव डॉ. कैलाश खामरे तथा कार्यशाला के संयोजक प्रो. उमाशंकर उपाध्‍याय मंचस्‍थ थे।
कार्यशाला में अमेरिका के टेक्‍सास विश्‍वविद्यालय के हरमन ओफेन, इटली की अलेसांद्रा, कोंसोलारो, डॉ. मिकी निशीओका, जर्मनी की प्रो. ततियाना, मारिना मारिनोआ, हंगरी की मारिया नेगेसी, जस्तिना कुरोवसका, बेलारूस की निकोला पोज्‍जा, बेल्जियम की प्रो. इवा डे क्‍लेर्क, जापान के ओसाका विश्‍वविद्यालय की निशीओका तथा डॉ. सार्तजे वर्बेक आदि शिक्षक उपस्थित हुए। कार्यशाला में विषय विशेषज्ञ के रूप में प्रो.असगर वजाहत, प्रो. कृष्‍ण कुमार गोस्‍वामी, प्रो. वी. रा. जगन्‍नाथन, प्रो. आर.पी.सक्‍सेना तथा प्रो. अश्विनी कुमार श्रीवास्‍तव ने सहभागिता की।
विदित हो कि विश्‍वविद्यालय में विगत 11 दिसंबर से आयोजित कार्यशाला में अलग-अलग देशों के 12 अध्‍यापक शामिल हुए थे। कार्यशाला का समापन शुक्रवार दि. 21 दिसंबर को हबीब तनवीर सभागार में किया गया। कुलपति राय ने आगे कहा कि विदेशों में किस प्रकार ही हिंदी पढ़ाई जाती है और वहॉं अध्‍यापकों की क्‍या जरूरतें है, इसे ध्‍यान में रखकर हमने पाठ्यक्रम तैयार किये हैं। 11 दिनों की इस कार्यशाला में एक म‍हीने का तथा 3 व 4 महीने के लिए पाठ्यक्रम बनाए गये हैं। आगे चलकर हम ऐसे पाठ्यक्रम बनाएंगे जो आसान भाषा में हो ताकि विश्‍व का हिंदी समुदाय इसे अपना सके। इन पाठ्यक्रमों को वैश्विकता प्रदान कराने के लिए विश्‍वविद्यालय प्रयासरत है और आने वाले तीन-चार महीनों में हम इसे वेबसाइट के माध्‍यम से विश्‍व समुदाय के लिए उपलब्‍ध करा देंगे। उन्‍होंने विदेशी शिक्षकों को आश्‍वस्‍त किया कि उन्‍हें हिंदी सीखने के लिए विश्‍व में सबसी अच्‍छी जगह वर्धा ही है, जहॉं बोलचाल की भाषा में आप जल्‍द से जल्‍द हिंदी सीख सकते है।
समापन समारोह के प्रारंभ में कार्यशाला के संयोजक प्रो. उमाशंकर उपाध्‍याय ने प्रतिवेदन प्रस्‍तुत किया। इस दौरान विदेशी प्रतिभागियों ने अपने मंतव्‍य भी प्रस्‍तुत किये। सभी प्रतिभागी शिक्षकों को कुलपति राय द्वारा स्‍मृतिचिन्‍ह प्रदान कर सन्‍मानित किया। संचालन प्रो. उमाशंकर उपाध्‍याय ने तथा धन्‍यवाद ज्ञापन प्रो. ए. अरविंदाक्षन ने किया। इस अवसर पर वरिष्‍ठ साहित्‍यकार से. रा. यात्री, वित्‍ताधिकारी संजय गवई,  प्रो. मनोज कुमार, प्रो. सूरज पालीवाल, प्रो. अनिल कुमार राय, प्रो. सुरेश शर्मा, उपकुलसचिव पी. सरदार सिंह, विशेष कर्तव्‍याधिकारी नरेन्‍द्र सिंह सहित विभिन्‍न विभागों के अध्‍यक्ष, अध्‍यापक, अधिकारी तथा विद्यार्थी बड़ी संख्‍या में उपस्थित थे।   

बुधवार, 12 दिसंबर 2012


कम्‍प्‍यूटर और हिंदी के रिश्‍ते होंगे मजबूत : कुलपति विभूति नारायण राय

हिंदी विश्‍वविद्यालय में विदेशी शिक्षकों के लिए कार्यशाला का उदघाटन  

महात्‍मा गांधी अंतरराष्‍ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय में विदेशी शिक्षकों के लिए आयोजित अनुस्‍तरित मानक पाठयक्रम निर्माण कार्यशाला के उदघाटन समारोह की अध्‍यक्षता करते हुए कुलपति विभूति नारायण राय ने कहा कि हिंदी विश्‍वविद्यालय कम्‍प्‍यूटर और हिंदी के रिश्‍ते को मजबूत बनाने की दिशा में काम कर रहा है। हिंदी में कन्‍वर्टर और स्‍पेल चेक जैसी सुविधाएं उपलब्‍ध कराने के लिए विश्‍ववि़द्यालय ने एक महत्‍वाकांक्षी योजना बनाई है। आने वाले दिनों में विश्‍वविद्यालय तकनीक का इस्‍तेमाल करते हुए हिंदी को कम्‍प्‍यूटर पर आसानी से उपलब्‍ध करा सकेगा।
हिंदी विश्‍वविद्यालय में मंगलवार को विदेशी विश्‍वविद्यालयों के अध्‍यापकों के लिए 11 दिवसीय अनुस्‍तरित मानक पाठयक्रम निर्माण कार्यशाला का उदघाटन भाषा विद्यापीठ के सभागार में किया गया। इस अवसर पर विदशें से आये प्रतिभागियों के साथ प्रतिकुलपति एवं विदेशी शिक्षण प्रकोष्‍ठ के प्रभारी प्रो. ए. अरविंदाक्षन, विदेश मंत्रालय, नई दिल्‍ली में उपसचिव सुनीति शर्मा, अटलबिहारी वाजपेयी हिंदी विश्‍वविद्यालय, भोपाल के कुलपति प्रो. मोहनलाल छीपा, कार्यशाला के संयोजक प्रो. उमाशंकर उपाध्‍याय, प्रो. वि.रा.जगन्‍नाथन, प्रो. अश्विनी कुमार श्रीवास्‍तव, वित्‍ताधिकारी संजय गवई सहित अध्‍यापक एवं अधिकारी प्रमुखता से उपस्थित थे।
उदघाटन समारोह में इस कार्यशाला में अमरिका स्थित टेक्‍सास विश्‍वविद्यालय के प्रोफेसर हरमन वॉन ओल्‍फेन, इटली की अलेसांदरा कोनसोलारो, जर्मनी के इल्‍मर रेनर, जापान की जर्मनी के हबंर्ग विश्‍वविद्यालय की प्रो. तातियाना ओरान्‍सकाईया, मारिना मारिनोआ, हंगरी  की डॉ. मारीया नेगेसी, जर्मनी की जुस्तिना कुरोवस्‍का, स्वित्‍जरलैंड के डॉ. निकोला पोजा, बेलारूस की अलेसिया माकोसकाया उपस्थित थे। इस अवसर पर प्रतिकुलपति प्रो. ए. अरविंदाक्षन ने कहा कि विदेशी विश्‍वविद्यालय में पढाये जाने वाले हिंदी के पाठयक्रमों में मोटे तौर पर समानता होनी चाहिए। उन्‍होंने आशा व्‍यक्‍त की हिंदी को विश्‍व में प्रसारित करने के लिए यूरोप सहित अमरिका में विश्‍वविद्यालय के केंद्र शुरू किये जाए। सुनीति शर्मा ने अपने वक्‍तव्‍य में विश्‍वविद्यालय द्वारा विदेशों में हिंदी शिक्षा को लेकर किये जाने वाले प्रयासों की सराहना की। उन्‍होंने विदेश मंत्रालय द्वारा हिंदी को प्रसारित करने के लिए जारी कार्यो को भी ब्‍यौरा दिया।  प्रो. मोहनलाल छीपा ने वर्धा विश्‍वविद्यालय को बड़ा भाई कहते हुए कहा कि वर्धा और भोपाल का विश्‍वविद्यालय विश्‍व में हिंदी जगत के समक्ष आदर्श प्रस्‍तुत करेगा।
प्रारंभ में कुलपति तथा प्रतिकुलपति द्वारा विदेशी शिक्षकों तथा विषय विशेषज्ञों का पुष्‍पगुच्‍छ से स्‍वागत किया गया। कार्यक्रम का संचालन प्रो. उमाशंकर उपाध्‍याय ने किया तथा धन्‍यावाद ज्ञापन डॉ. अनिल कुमार दुबे ने प्रस्‍तुत किया। इस कार्यशाला का समापन 21 दिसंबर को होगा।

मंगलवार, 4 दिसंबर 2012


बौद्ध अध्ययन में शोध-पत्रिका संगायन का विमोचन     

महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा में डॉ. भदंत आनंद कौसल्यायन बौद्ध अध्ययन केंद्र के प्रभारी अध्यक्ष डॉ. सुरजीत कुमार सिंह द्वारा संपादित बौद्ध अध्ययन की अंतरराष्ट्रीय स्तर की अर्द्ध वार्षिक शोध पत्रिका संगायन के प्रथम अंक का लोकार्पण हाल ही में भारतीय बौद्ध अध्ययन सोसाइटी की 12 वीं वार्षिक कांग्रेस में देहरादून के दून विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन की निदेशक प्रो. दीप्ति त्रिपाठी के द्वारा किया गया। इस अवसर पर दून विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी.के.जैन, उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय, हरिद्वार की पूर्व कुलपति प्रो. सुधारानी पांडे, नवनालंदा महाविहार के पूर्व निदेशक प्रो. उमाशंकर व्यास, भारतीय बौद्ध अध्यायन सोसाइटी के अध्यक्ष प्रो. सत्यप्रकाश शर्मा, 12 वीं बौद्ध अध्ययन काँग्रेस के महासचिव प्रो. भागचंद्र जैन और भारतीय बौद्ध अध्ययन सोसाइटी के महासचिव प्रो. वैद्यनाथ लाभ मंचस्थ  थे। इस अवसर पर देश-विदेश के बौद्ध अध्यापन व पालि भाषा से जुड़े विद्वान व शोधार्थी उपस्थित थे।
संगायन शोध पत्रिका का प्रकाशन पालि भाषा एवं साहित्य अनुसंधान परिषद के द्वारा किया गया है। संगायन पत्रिका के संपादक मण्डल में पालि भाषा एवं साहित्य अनुसंधान परिषद के संरक्षक व अध्यक्ष प्रो. भिक्षु सत्यपाल महाथेर, प्रो. एम.के.दास, प्रो. के.टी.एस.सराओ, प्रो. वैद्यनाथ लाभ, प्रो. संघसेन सिंह, प्रो. अंगराज चौधरी और प्रो. भालचंद्र खांडेकर शामिल हैं। पत्रिका में देश भर के बौद्ध विद्वान और चिंतकों के अंग्रेजी एवं हिंदी में शोध आलेख प्रकाशित किये गये हैं। संगायन के प्रधान संपादक डॉ. सुरजीत कुमार सिंह ने बताया कि आने वाले समय में इस पत्रिका में विदेशों के बौद्ध चिंतकों के शोध लेख भी प्रकाशित किये जायेंगे। उन्होंने आशा जताई कि बौद्ध धम्म के वैश्विक प्रचार-प्रसार  को इस पत्रिका से माध्यम से और बल मिलेगा।

रविवार, 2 दिसंबर 2012


विदेशों में हिंदी शिक्षण के लिए मानक पाठ्यक्रम तैयार करेगा हिंदी विश्वविद्यालय

महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय,वर्धा हिंदी पाठ्यक्रमों के विकास में विश्व भर के विश्वविद्यालयों को सहयोग कर रहा है। इसके अंतर्गत उस देश की आवश्यकता के अनुसार पाठ्यक्रम निर्माण, उसके लिए पाठ्यसामग्री एवं दृश्य-श्रव्य सामग्री का निर्माण शामिल है । विश्व भर में हिंदी शिक्षण को समृद्ध करने के उद्देश्य से यह  विश्वविद्यालय हिंदी प्राध्यापकों के लिए ओरिएंटेसन कार्यक्रम भी चला रहा है। जोहान्सबर्ग में आयोजित नौवें विश्व हिंदी सम्मेलन में तीन दिन चले मंथन के बाद कुल 12 प्रस्ताव पारित किए गए।  विदेशों में हिंदी शिक्षण के लिए एक मानक पाठ्यक्रम तैयार करने पर भी प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें कहा गया कि इस पाठ्यक्रम को तैयार किए जाने की जिम्मेदारी महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय,वर्धा को अधिकृत किया जाए।