रविवार, 23 दिसंबर 2012


विदेशी विश्‍वविद्यालयों के लिए हिंदी का मानक पाठ्यक्रम तैयार

हिंदी विश्‍वविद्यालय की अनूठी पहल

अनुस्‍तरित मानक पाठ्यक्रम निर्माण कार्यशाला का समापन

महात्‍मा गांधी अंतरराष्‍ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय द्वारा विदेशी विश्‍वविद्यालयों के लिए बनाए गये हिंदी के मानक पाठ्यक्रम कुछ ही दिनों में पूरे विश्‍व के लिए हिंदी विश्‍वविद्यालय की वेबसाइट के माध्‍यम से खुले होंगे। विश्‍व में जहॉं भी हिंदी का अध्‍ययन-अध्‍यापन होगा वहॉं हिंदी विश्‍वविद्यालय के पाठ्यक्रम उपयोगी सिद्ध होंगे। उक्‍त मंतव्‍य विश्‍वविद्यालय के कुलपति विभूति नारायण राय ने व्‍यक्‍त किये। विश्‍वविद्यालय में विगत 11 दिसंबर से विदेशी विश्‍वविद्यालयों के अध्‍यापकों के लिए आयोजित अनुस्‍तरित मानक पाठ्यक्रम निर्माण कार्यशाला का समापन शुक्रवार को हुआ। इस अवसर पर कुलपति राय बतौर समारोह के अध्‍यक्ष के रूप में अपनी बात रख रहे थे। समारोह में प्रतिकुलपति एवं विदेशी शिक्षण प्रकोष्‍ठ के प्रभारी प्रो. ए. अरविंदाक्षन, कुलसचिव डॉ. कैलाश खामरे तथा कार्यशाला के संयोजक प्रो. उमाशंकर उपाध्‍याय मंचस्‍थ थे।
कार्यशाला में अमेरिका के टेक्‍सास विश्‍वविद्यालय के हरमन ओफेन, इटली की अलेसांद्रा, कोंसोलारो, डॉ. मिकी निशीओका, जर्मनी की प्रो. ततियाना, मारिना मारिनोआ, हंगरी की मारिया नेगेसी, जस्तिना कुरोवसका, बेलारूस की निकोला पोज्‍जा, बेल्जियम की प्रो. इवा डे क्‍लेर्क, जापान के ओसाका विश्‍वविद्यालय की निशीओका तथा डॉ. सार्तजे वर्बेक आदि शिक्षक उपस्थित हुए। कार्यशाला में विषय विशेषज्ञ के रूप में प्रो.असगर वजाहत, प्रो. कृष्‍ण कुमार गोस्‍वामी, प्रो. वी. रा. जगन्‍नाथन, प्रो. आर.पी.सक्‍सेना तथा प्रो. अश्विनी कुमार श्रीवास्‍तव ने सहभागिता की।
विदित हो कि विश्‍वविद्यालय में विगत 11 दिसंबर से आयोजित कार्यशाला में अलग-अलग देशों के 12 अध्‍यापक शामिल हुए थे। कार्यशाला का समापन शुक्रवार दि. 21 दिसंबर को हबीब तनवीर सभागार में किया गया। कुलपति राय ने आगे कहा कि विदेशों में किस प्रकार ही हिंदी पढ़ाई जाती है और वहॉं अध्‍यापकों की क्‍या जरूरतें है, इसे ध्‍यान में रखकर हमने पाठ्यक्रम तैयार किये हैं। 11 दिनों की इस कार्यशाला में एक म‍हीने का तथा 3 व 4 महीने के लिए पाठ्यक्रम बनाए गये हैं। आगे चलकर हम ऐसे पाठ्यक्रम बनाएंगे जो आसान भाषा में हो ताकि विश्‍व का हिंदी समुदाय इसे अपना सके। इन पाठ्यक्रमों को वैश्विकता प्रदान कराने के लिए विश्‍वविद्यालय प्रयासरत है और आने वाले तीन-चार महीनों में हम इसे वेबसाइट के माध्‍यम से विश्‍व समुदाय के लिए उपलब्‍ध करा देंगे। उन्‍होंने विदेशी शिक्षकों को आश्‍वस्‍त किया कि उन्‍हें हिंदी सीखने के लिए विश्‍व में सबसी अच्‍छी जगह वर्धा ही है, जहॉं बोलचाल की भाषा में आप जल्‍द से जल्‍द हिंदी सीख सकते है।
समापन समारोह के प्रारंभ में कार्यशाला के संयोजक प्रो. उमाशंकर उपाध्‍याय ने प्रतिवेदन प्रस्‍तुत किया। इस दौरान विदेशी प्रतिभागियों ने अपने मंतव्‍य भी प्रस्‍तुत किये। सभी प्रतिभागी शिक्षकों को कुलपति राय द्वारा स्‍मृतिचिन्‍ह प्रदान कर सन्‍मानित किया। संचालन प्रो. उमाशंकर उपाध्‍याय ने तथा धन्‍यवाद ज्ञापन प्रो. ए. अरविंदाक्षन ने किया। इस अवसर पर वरिष्‍ठ साहित्‍यकार से. रा. यात्री, वित्‍ताधिकारी संजय गवई,  प्रो. मनोज कुमार, प्रो. सूरज पालीवाल, प्रो. अनिल कुमार राय, प्रो. सुरेश शर्मा, उपकुलसचिव पी. सरदार सिंह, विशेष कर्तव्‍याधिकारी नरेन्‍द्र सिंह सहित विभिन्‍न विभागों के अध्‍यक्ष, अध्‍यापक, अधिकारी तथा विद्यार्थी बड़ी संख्‍या में उपस्थित थे।   

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