कम्प्यूटर और हिंदी के रिश्ते होंगे मजबूत : कुलपति विभूति नारायण राय
हिंदी विश्वविद्यालय में विदेशी शिक्षकों के लिए कार्यशाला का उदघाटन
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में विदेशी शिक्षकों
के लिए आयोजित अनुस्तरित मानक पाठयक्रम निर्माण कार्यशाला के उदघाटन समारोह की
अध्यक्षता करते हुए कुलपति विभूति नारायण राय ने कहा कि हिंदी विश्वविद्यालय कम्प्यूटर
और हिंदी के रिश्ते को मजबूत बनाने की दिशा में काम कर रहा है। हिंदी में कन्वर्टर
और स्पेल चेक जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए विश्ववि़द्यालय ने एक महत्वाकांक्षी
योजना बनाई है। आने वाले दिनों में विश्वविद्यालय तकनीक का इस्तेमाल करते हुए
हिंदी को कम्प्यूटर पर आसानी से उपलब्ध करा सकेगा।
हिंदी विश्वविद्यालय में मंगलवार को विदेशी विश्वविद्यालयों
के अध्यापकों के लिए 11 दिवसीय अनुस्तरित मानक पाठयक्रम निर्माण कार्यशाला का
उदघाटन भाषा विद्यापीठ के सभागार में किया गया। इस अवसर पर विदशें से आये
प्रतिभागियों के साथ प्रतिकुलपति एवं विदेशी शिक्षण प्रकोष्ठ के प्रभारी प्रो. ए.
अरविंदाक्षन, विदेश मंत्रालय, नई दिल्ली में उपसचिव सुनीति शर्मा, अटलबिहारी
वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय, भोपाल के कुलपति प्रो. मोहनलाल छीपा, कार्यशाला के
संयोजक प्रो. उमाशंकर उपाध्याय, प्रो. वि.रा.जगन्नाथन, प्रो. अश्विनी कुमार
श्रीवास्तव, वित्ताधिकारी संजय गवई सहित अध्यापक एवं अधिकारी प्रमुखता से
उपस्थित थे।
उदघाटन समारोह में इस कार्यशाला में अमरिका स्थित
टेक्सास विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हरमन वॉन ओल्फेन, इटली की अलेसांदरा
कोनसोलारो, जर्मनी के इल्मर रेनर, जापान की जर्मनी के हबंर्ग विश्वविद्यालय की
प्रो. तातियाना ओरान्सकाईया, मारिना मारिनोआ, हंगरी की डॉ. मारीया नेगेसी, जर्मनी की जुस्तिना
कुरोवस्का, स्वित्जरलैंड के डॉ. निकोला पोजा, बेलारूस की अलेसिया माकोसकाया
उपस्थित थे। इस अवसर पर प्रतिकुलपति प्रो. ए. अरविंदाक्षन ने कहा कि विदेशी विश्वविद्यालय
में पढाये जाने वाले हिंदी के पाठयक्रमों में मोटे तौर पर समानता होनी चाहिए। उन्होंने
आशा व्यक्त की हिंदी को विश्व में प्रसारित करने के लिए यूरोप सहित अमरिका में
विश्वविद्यालय के केंद्र शुरू किये जाए। सुनीति शर्मा ने अपने वक्तव्य में विश्वविद्यालय
द्वारा विदेशों में हिंदी शिक्षा को लेकर किये जाने वाले प्रयासों की सराहना की।
उन्होंने विदेश मंत्रालय द्वारा हिंदी को प्रसारित करने के लिए जारी कार्यो को भी
ब्यौरा दिया। प्रो. मोहनलाल छीपा ने
वर्धा विश्वविद्यालय को बड़ा भाई कहते हुए कहा कि वर्धा और भोपाल का विश्वविद्यालय
विश्व में हिंदी जगत के समक्ष आदर्श प्रस्तुत करेगा।
प्रारंभ में कुलपति तथा प्रतिकुलपति द्वारा विदेशी
शिक्षकों तथा विषय विशेषज्ञों का पुष्पगुच्छ से स्वागत किया गया। कार्यक्रम का
संचालन प्रो. उमाशंकर उपाध्याय ने किया तथा धन्यावाद ज्ञापन डॉ. अनिल कुमार दुबे
ने प्रस्तुत किया। इस कार्यशाला का समापन 21 दिसंबर को होगा।
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