हिंदी
विवि में ‘अदम की कविता : जनरुचि और पठनीयता का संदर्भ’ विषय पर राष्ट्रीय
संगोष्ठी का उदघाटन संपन्न
हिंदी और उर्दू भाषा के मिलाप से जनता की भाषा
बन सकती है और हमें उसी को अपनाना चाहिए। कवि अदम गोंडवी ने अपनी कृतियों के माध्यम
से नई भाषा देकर एक समृद्ध परंपरा की नींव डाली। उक्ताशय के विचार प्रख्यात कवि
एवं उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ के कार्यकारी अध्यक्ष उदयप्रताप सिंह ने
व्यक्त किये। वे महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में विश्वविद्यालय
के साहित्य विभाग एवं उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ के संयुक्त तत्वावधान
में ‘अदम की कविता : जनरुचि और पठनीयता का संदर्भ’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय
संगोष्ठी के उदघाटन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। समारोह की अध्यक्षता
विश्वविद्यालय के कुलपति विभूति नारायण राय ने की। दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी
का उदघाटन मंगलवार दि. 28 को विश्वविद्यालय के हबीब तनवीर सभागार में संपन्न हुआ। समारोह में उदघाटक के रूप में
केदारनाथ सिंह, बीज वक्ता के रूप में कथाकार दूधनाथ सिंह तथा उत्तर प्रदेश हिंदी
संस्थान, लखनऊ के निदेशक सुधाकर अदीब, साहित्य विद्यापीठ के अधिष्ठाता प्रो.
सूरज पालीवाल मंचासीन थे।
उदय प्रताप सिंह ने कहा कि मैं हिंदी
और उर्दू के भेद को अस्वीकार करता हूं। भविष्य में हिंदी का स्वरूप बदलेगा और वह
विश्वपटल पर अपना प्रभाव डालेगी। उन्होंने कुलपति राय को संगोष्ठी के आयोजन के
लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि उनकी वजह से हिंदी के तीर्थ को देखने का मौका मिला। संगोष्ठी का उदघाटन केदारनाथ सिंह द्वारा किया
गया। अपने उदघाटन वक्तव्य में उन्होंने कहा कि गोंडा में शायरों की लंबी परंपरा
रही है। यहां पर असगर गोंडवी और जिगर मुरादाबादी जैसे शायरों ने अपनी प्रतिभा
बिखेरी। इस परिदृश्य में अदम ने परंपरा को बदलने का काम किया है। उन्होंने ग़ज़ल
के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ग़ज़ल दुनिया की सबसे अच्छी काव्यविधा है।
स्पेन और यूरोप में ग़ज़ल की लंबी परंपरा रही है। वह अरब से चलकर भारत आयी है।
हिंदी ग़ज़ल सौ वर्ष पूर्व से लिखी जाती रही है। दुष्यत कुमार ने हिंदी ग़ज़ल को
ऊर्जा दी और प्रख्यात कवि शमशेर बहादुर सिंह ने उसे आगे बढ़ाया। बीज वक्तव्य
में कथाकार, आलोचक एवं कवि दूधनाथ सिंह ने कहा कि हिंदी कविता की दो स्थितियां हैं,
कविता को जनता के धरातल पर लाया जाये या जनता को कविता के धरातल पर लाया जाये। इन
दोनों स्थितियों के खतरे हैं। उन्होंने कहा कि हिंदी ग़ज़ल की कोई परंपरा नहीं है
परंतु प्रगतीशीलता को ग़ज़ल के रूप में बांधकर व्यक्त करने की एक परंपरा रही है।
अदम ने ग़ज़ल के फॉर्म को एक मठ में ग्रहण किया और चर्चित रचनाएं लिखीं।
अध्यक्षीय उदबोधन में कुलपति विभूति
नारायण राय ने कहा कि ‘जनसत्ता‘ में छपी अदम गोंडवी की कविता से मैं काफी
प्रभावित हुआ था। तबसे उनसे मिलने की तमन्ना दिल में थी। सन 1983 में उनसे मिलने
गोंडा गया और वहां से गोंडवी से मुलाकात का दौर शुरू हुआ। उनसे ग़ज़ले सुनने के कई
अवसर मिले। वे एक अदभूत कवि थे। अपने वक्तव्य में कुलपति राय ने सभी अतिथियों
तथा प्रतिभागियों का स्वागत किया।
अतिथियों का स्वागत साहित्य
विद्यापीठ के अधिष्ठाता प्रो. सूरज पालीवाल ने किया। उन्होंने कहा कि किसी विश्वविद्यालय
में अदम गोंडवी पर आयोजित यह पहली राष्ट्रीय संगोष्ठी है। इस संगोष्ठी में चार
सत्रों में अदम की कविता और शायरी के समक्ष उपस्थित प्रश्नों के उत्तर तलाशने की
कोशिश की जाएगी। समारोह के प्रारंभ में साहित्य विभाग के छात्रों द्वारा विश्वविद्यालय
का कुलगीत प्रस्तुत किया गया। अतिथियों का स्वागत सूत की माला और स्मृतिचिन्ह
प्रदान कर किया गया। समारोह का संचालन साहित्य विभाग के अध्यक्ष प्रो. के. के.
सिंह ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के निदेशक सुधाकर
अदीब ने किया।
समारोह में प्रो. गंगाप्रसाद विमल,
वरिष्ठ कथाकार डॉ. विजय मोहन सिंह, से. रा. यात्री, आवासीय लेखक ऋतुराज, प्रो.
देवराज, प्रो. अनिल कुमार राय, प्रो. हनुमानप्रसाद शुक्ल, प्रो. सुरेश शर्मा,
प्रकाश चंद्रायन, डॉ. नृपेंद्र प्रसाद मोदी, दिनेश कुशवाह, संगोष्ठी के संयोजक
डॉ. बीर पाल सिंह यादव, आदि समेत प्रतिभागी, विश्वविद्यालय के अध्यापक एवं छात्र
प्रमुखता से उपस्थित थे।
पोस्टर प्रदर्शनी का उदघाटन :-
उदघाटन समारोह के पूर्व हबीब तनवीर के प्रांगण
में प्रदर्शित भव्य पोस्टर प्रदर्शनी का उदघाटन उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान,
लखनऊ के कार्यकारी अध्यक्ष उदयप्रताप सिंह द्वारा फीता काटकर किया गया। प्रदर्शनी
में विश्वविद्यालय की शोधार्थी मेघा आचार्य और अंशू सिंह आशु द्वारा बनाये गये पोस्टर
प्रदर्शित किये गये। प्रदर्शनी को देखकर डॉ. विजय मोहन सिंह ने टिप्पणी करते हुए
कहा कि पोस्टर में लिखे शेर और उसे बयां करती पेन्टिंग अदभूत है। उन्होंने चित्रकारों
की कला की सराहना की।
बुधवार को अदम की कविताओं की रंग प्रस्तुति और
हिंदी ग़ज़ल की परंपरा पर होगी चर्चा
राष्ट्रीय संगोष्ठी में बुधवार को पूर्वाहन
10.00 बजे से ‘हिंदी गजल की परंपरा में अदम’ पर आयोजित सत्र की अध्यक्षता दूधनाथ
सिंह करेंगे। सत्र में प्रो. गोविंद प्रसाद आधार वक्तव्य देंगे। वक्ता के रूप
में डॉ. अखिलेश कुमार राय, डॉ. दिलीप शाक्य एवं डॉ. रामानुज अस्थाना अपने विचार
रखेंगे। सत्र का संचालन डॉ. अशोक नाथ त्रिपाठी करेंगे। संगोष्ठी का तीसरा सत्र
‘अदम की राजनैतिक चेतना’ विषय पर पूर्वाहन 12.00 बजे सुधाकर अदीब की अध्यक्षता
में होगा। जिसमें प्रो. सूरज पालीवाल आधार वक्तव्य देंगे। वक्ता के रूप में
दिनेश कुशवाह, माणिक मृगेश, डॉ. अनिल कुमार सिंह, डॉ. रामप्रकाश यादव उपस्थित
रहेंगे। सत्र का संचालन डॉ. जयप्रकाश राय धूमकेतु करेंगे। संगोष्ठी का चौथा सत्र
‘समकालीन कविता और अदम’ विषय पर 2.30 बजे से होगा जिसकी अध्यक्षता प्रो. गोविंद
प्रसाद करेंगे तथा डॉ. गजेंद्र पाठक आधार वक्तव्य देंगे। सत्र में डॉ. अनिल
कुमार सिंह, डॉ. अनवर अहमद सिद्दीकी, डॉ. बीर पाल सिंह यादव वक्तव्य देंगे। सत्र
का संचालन रूपेश कुमार सिंह करेंगे।
अगला सत्र सायं 4.15 बजे ‘अदम की कविता
: विविध आयाम’ विषय पर होगा जिसकी अध्यक्षता प्रो. दिनेश कुशवाह करेंगे। इस सत्र
में शोध आलेख वाचन होगा। सत्र का संचालन डॉ. रामानुज अस्थाना करेंगे। बुधवार को
6.30 बजे कवि गोष्ठी होगी जिसकी अध्यक्षता उदयप्रताप सिंह करेंगे। इस अवसर पर
जमुना प्रसाद उपाध्याय, ऋतुराज, प्रो. गोंविद प्रसाद, माणिक मृगेश, प्रो. दिनेश
कुशवाह, डॉ. प्रीति सागर एवं सागर त्रिपाठी काव्य पाठ करेंगे। संचालन डॉ. दिलीप
शाक्य करेंगे तथा आभार ज्ञापन राष्ट्रीय संगोष्ठी के संयोजक डॉ. बीर पाल सिंह
यादव करेंगे।