
प्रो. गोपीनाथन ने कहा कि हिंदी विश्व संचार की भाषा है। वह जोड़नेवाली भाषा
है। भक्ति साहित्य को दक्षिण से पूरे भारत में लाने का श्रेय हिंदी को ही है। अनेक
अहिंदीभाषियों ने हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए अनथक प्रयास किए और हिंदी की
सेवा भी की। व्याख्यान के बाद वेब पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा पाठ्यक्रम
के विद्यार्थियों-अंबरीन अरशद, करुणा गुप्ता, नीरु कुमारी सिंह, फातिमा कनीज, विनय
कुमार प्रसाद, अभिषेक कुमार शर्मा और अमित कुमार राय द्वारा पूछे गए प्रश्नों के
जवाब भी प्रो. गोपीनाथन ने दिए।
प्रो. गोपीनाथन के व्याख्यान पर प्रो. केएम मालती, प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय
के एसिस्टेंट प्रोफेसरद्वय डा. वेदरमण और डा. जय कौशल ने संक्षिप्त टिप्पणियां भी
कीं। व्याख्यान के पूर्व प्रो. गोपीनाथन का सन्मार्ग के संपादक हरिराम पांडेय, दैनिक
जागरण के कोलकाता संस्करण के प्रभारी रवि प्रकाश, डा. वेदरमण, जया तिवारी तथा
आफरीन जमान द्वारा सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन सोनी कुमारी सिंह ने
किया। स्वागत भाषण कोलकाता केंद्र के प्रभारी डा. कृपाशंकर चौबे और धन्यवाद ज्ञापन
सहायक क्षेत्रीय निदेशक डा. प्रकाश त्रिपाठी ने किया।
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