मंगलवार, 21 अगस्त 2012


आस्‍था के लुप्‍त होते सूत्रों की खोज करती हैं मनीषा की रचनाएं- संजीव

कथाकार मनीषा कुलश्रेष्‍ठ कृष्‍ण प्रताप कथा सम्‍मान, 2011 से सम्‍मानित

युवा पीढ़ी में मनीषा कुलश्रेष्‍ठ बेहद संभावनाशील रचनाकार हैं। राजस्‍थान के ठेठ चुरू इलाके से आई लेखिका का कथा में प्रवेश करने का ढंग यानी एप्रोच एकदम अलग है। इस एप्रोच के माध्‍यम से वे अपनी रचनाओं में आस्‍था के लुप्‍त होते सूत्रों की तलाश करती हैं। एक लेखिका के रूप में उन्‍होंने लंबी दूरी तय कर ली है तथा नारी विमर्श में नए रंग जोड़े हैं। वे अपनी कहानियों में पारिवारिक हिंसा को केंद्रीयता प्रदान करती हैं। उनके पास चकित करने वाली काव्‍यात्‍मक भाषा है, खर पतवार पढ़ते हुए मुझे ऐसा ही महसूस हुआ।
वरिष्‍ठ कथाकार संजीव ने मनीषा कुलश्रेष्‍ठ के रचना संसार पर बात करते हुए ये विचार व्‍यक्‍त किए। अवसर था इलाहाबाद में महात्‍मा गांधी अंतरराष्‍ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय के सत्‍यप्रकाश मिश्र सभागार में कृष्‍ण प्रताप कथा सम्‍मान, 2011 का आयोजन। जिसमें कथाकार संजीव बतौर विशिष्‍ट अतिथि उपस्थित थे। सम्‍मान समारोह के अध्‍यक्ष और हिंदी के ख्‍यातनाम कथाकार शेखर जोशी ने कहा कि मनीषा अपनी कहानियों में भारतीय एवं ग्रीक मिथकों का सटीक प्रयोग करती हैं। उनकी भाषा अर्जित की हुई भाषा है, उनके लेखन में परिपक्‍व संभावनाएं हैं।
समारोह के मुख्‍य अतिथि वरिष्‍ठ कथाकार एवं महात्‍मा गांधी अंतरराष्‍ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय, वर्धा के कुलपति तथा कृष्‍ण प्रताप कथा सम्‍मान के संस्‍थापक विभूति नारायण राय ने कहा कि पहले य‍ह वर्तमान साहित्‍य पत्रिका द्वारा आयोजित कृष्‍ण प्रताप कहानी प्रतियोगिता के रूप में शुरू किया गया था। लगभग दो दशक तक यह पुरस्‍कार सफलतापूर्वक सम्‍पन्‍न हुआ और बहुत से महत्‍वपूर्ण कथाकारों और कहानियों को पुरस्‍कृत किया गया। वर्ष 2010 से यह कृष्‍ण प्रताप कथा सम्‍मान के रूप में दिया जा रहा है। उनका कहना था कि इस सम्‍मान के माध्‍यम से वे कृष्‍ण प्रताप से अपनी मित्रता का दाय पूरा कर रहे हैं। इसका उद्देश्‍य है कि समकालीन कहानी के उन हस्‍ताक्षरों का सम्‍मान करना जो अनुभव, संवेदना और विचार के साथ नए यथार्थ से मुठभेड़ कर कहानी को नए आस्‍वाद से समृद्ध कर रहे हैं। उन्‍होंने उम्‍मीद जताई कि मनीषा आगे चलकर इस सम्‍मान का गौरव बढ़ाएंगी।
पुस्‍तक-वार्ता के संपादक एवं विशिष्‍ट अतिथि भारत भारद्वाज ने कहा कि मनीषा की कहानियों में वे साधारण लोग जगह पाते हैं जो लोक कला को जीवित रखे हैं। उनकी कहानियों की विशेषता यह है कि उनमें प्रखर राजनीतिक चेतना है और सांप्रदायिकता के विरोध की रचनात्‍मक ऊर्जा भी। बतौर वक्‍ता युवा आलोचक कृष्‍ण मोहन ने कृष्‍ण प्रताप के सद्य प्रकाशित कहानी संग्रह कहानी अधूरी है के हवाले से उनकी कहानियों की खूबियों और आलोचनात्‍मक लेखों का उल्‍लेख करते हुए कहा कि उन्‍हें फिर से पढ़ने की जरूरत है। सम्‍मानित लेखिका मनीषा कुलश्रेष्‍ठ ने अपने वक्‍तव्‍य में कहा कि यह एक शहीद हुए इंसान के नाम पर दिया जाने वाला सम्‍मान है, जो साहित्‍य के साथ एक गहरा रिश्‍ता रखते थे, इसलिए वो यह सम्‍मान पाकर खुद को गौरवान्वित महसूस कर रही हैं।
सम्‍मान समारोह का संयोजन आयोजन समिति के सदस्‍य प्रो. संतोष भदौरिया ने किया। आभार सम्‍मान समारोह के संयोज‍क नरेन्‍द्र पुण्‍डरीक ने किया तथा अतिथियों का स्‍वागत अनामिका प्रकाशन के विनोद कुमार शुक्‍ल, डॉ. पीयूष पातंजलि तथा डॉ. प्रकाश त्रिपाठी ने किया।
सम्‍मान समारोह में प्रमुख रूप से दूधनाथ सिंह, वी.आर.जगन्‍नाथन, नीलम शंकर, के.के. पाण्‍डेय, मीना राय, नन्‍दल हितैषी, हिमांशु रंजन, संतोष चतुर्वेदी, जमीर अहसन, फखरूल करीम, पूनम तिवारी, अशोक सिद्धार्थ, रेनू सिंह, यश मालवीय, रविनंदन सिंह, नरेन्‍द्र पुण्‍डरीक, श्रीप्रकाश मिश्र, अनिल भौमिक, जे.पी.मिश्र, रमेश ग्रोवर, कान्ति शर्मा, जयकृष्‍ण तुषार एवं शशिभूषण सिंह सहित तमाम साहित्‍य प्रेमी उपस्थित थे। 

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