पुस्तकें ही लाती हैं परिवर्तन -ममता कालिया
हिंदी विश्वविद्यालय
में पुस्तक मेले का उदघाटन संपन्न
आज के
युग में भले ही विज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से हम डिजिटल दुनिया में पहुंच
गये हैं परंतु पुस्तकों का महत्व आज भी कायम है। पुस्तकों का असर गहरा और लंबे
समय तक रहता है। परिवर्तन के लिए पुस्तकें ही कारण बनती हैं। उक्त विचार प्रख्यात
कथाकर ममता कालिया ने व्यक्त किये। वह महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय
के 16वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित भव्य पुस्तक मेले के उदघाटन के
बाद संबोधित कर रही थीं।
विश्वविद्यालय के नजीर हाट में शनिवार दि. 28 दिसंबर को चार
दिवस तक चलने वाले इस मेले का उदघाटन सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर कुलपति विभूति नारायण राय, आलोचक विजय मोहन सिंह,
कथाकार से. रा. यात्री, भारतीय ज्ञानपीठ, नर्इ दिल्ली के निदेशक रवीन्द्र
कालिया, कवि विनोद कुमार शुक्ल, कुलसचिव डॉ. कैलाश खामरे, वित्त अधिकारी संजय
गवई, प्रमुखता से उपस्थित थे। इस मेले में
देशभर के 30 से अधिक प्रकाशकों ने अपने स्टॉल लगाए हैं। उदघाटन के दिन से ही
ग्रंथ प्रेमियों का उत्साह देखने को मिला। यह मेला 31 दिसंबर तक चलेगा। समारोह के
दौरान प्रो. सुरेश शर्मा, प्रो. अनिल कुमार राय, प्रो. सूरज पालीवाल, पदमा राय, डॉ.
शोभा पालीवाल, डॉ. पी. एस. सिंह, डी. एन. प्रसाद, आयोजक डॉ. वीर पाल सिंह यादव,
राजेश यादव, राकेश मिश्र, बी. एस. मिरगे, प्रा. राजेंद्र मुंढे, राजेश लेहकपुरे,
अख्तर आलम, अमित विश्वास सहित छात्र एवं छात्राएं बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
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