रविवार, 18 अगस्त 2013

हिंदी विश्वविद्यालय में मनाया गया स्वतंत्रता दिवस

शक्तिशाली देश बनकर उभर रहा है भारत -विभूति नारायण राय


आज हमारा देश निरंतर कड़ी मेहनत और लगन से काम करने के कारण विश्व का एक शक्तिशाली और प्रतिभाशाली देश बनकर उभर रहा है। हमें देश के विकास के लिए निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए। उक्‍त प्रतिपादन आजादी की 67 वीं वर्षगांठ के मौके पर महात्‍मा गांधी अंतरराष्‍ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर विश्‍वविद्यालय के कुलपति विभूति नारायण राय ने किए।
उन्‍होंने विश्‍वविद्यालय के मुख्‍य प्रशासनिक भवन के प्रांगण में तिरंगा फहराया। कुलपति राय ने विश्वविद्यालय परिवार के सभी शिक्षकों, कर्मचारियों एवं छात्र-छात्राओं को स्वतंत्रता दिवस की बधाई दी। उन्‍होंने छात्रों को खुशखबरी देते हुए बताया कि अगले सत्र से विश्वविद्यालय में डी.एड., बी.एड. और एम. एड. के पाठ्यक्रम शुरू हो जाएंगे। कुलपति राय ने बताया कि हाल ही में विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग ने शिक्षा विद्यापीठ शुरू करने के संदर्भ में अनुमति दे दी है। शिक्षा विद्यापीठ के भवन निर्माण की तैयारी शुरू हो गयी है और अगले सत्र से यह विद्यापीठ कार्यरत हो जाएगा साथही शिक्षकों की भर्ती कर ली जाएगी। इन पाठ्यक्रमों की कक्षाएं अगले साल से संचालित होने लगेंगी। इस अवसर पर कुलपति राय ने ने विश्वविद्यालय के सुरक्षा कर्मियों को उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रमाणपत्र प्रदान कर पुरस्कृत किया। 

भवनों का उदघाटन और शिलान्यास

स्वतंत्रता दिवस के इस अवसर पर विश्वविद्यालय में कई भवनों का उदघाटन और शिलान्यास किया गया। गजानन माधव मुक्तिबोध के तीन पुत्रों रमेश, दिवाकर और  दिलीप मुक्बिोध की उपस्थिति में गजानन माधव मुक्तिबोध भवन का उदघाटन प्रखर हिन्दी आलोचक प्रो. निर्मला जैन ने फीता काट कर किया।
दूर शिक्षा निदेशालय भवन और अकादमिक भवन का शिलान्यास केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियन्ता डॉ के. एम. सोनी ने कुलपति की अध्यक्षता में फीता काट कर किया।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय में आए सभी अतिथियों ने महापंडित राहुल सांकृत्यायन केन्द्रीय पुस्तकालय और स्वामी सहजानंद सरस्वती संग्रहालय का निरीक्षण किया तथा इससे अभिभूत होकर कुलपति को धन्यवाद ज्ञापित किया।   
कुलपति राय ने की वृक्षारोपण अभियान की शुरूआत
विश्वविद्यालय के उत्तरी परिसर में कुलपति ने वृक्षारोपण कर इस अभियान की शुरूआत की। इस मौके पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ कैलाश खामरे, कुलानुशासक प्रो. सूरज पालीवाल, विशेष कर्तव्य अधिकारी नरेन्द्र सिंह, परिसर विकास के राजेश्वर सिंह, राजीव पाठक, तुषार वानखेड़े, पर्यावरण क्लब के संयोजक अनिर्वाण घोष, पर्यावरण क्लब के सदस्य असिस्टेन्ट प्रोफेसर धरवेश कठेरिया, सुरक्षा अधिकारी राजेश घोड़मारे, राष्ट्रीय सेवा योजना के संयोजक सतीश पावडेअसि. प्रो. रवि कुमार, जनसंपर्क अधिकारी बीएस मिरगे, बिरसामुंडा छात्रावास व गोरख पांडे छात्रावास के केयर टेकर मनोज कुमार व सचिन यादव सहित भारी संख्या में छात्र -छात्राएं मौजूद रहे।  
उत्तरी परिसर में बनेगा भगत सिंह पार्क
विश्वविद्यालय के उत्तरी परिसर में वृक्षारोपण के दौरान राष्ट्रीय सेवा योजना के संयोजक सतीश पावडे ने कुलपति के समक्ष एक हरा-भरा पार्क बनाने का प्रस्ताव रखा। कुलपति ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर उत्तरी परिसर में भगत सिंह के नाम पर पार्क बनाने के लिए जमीन तथा राशि देने का आश्वासन दिया।
   
साहित्यक धरोहर और संरक्षण विषय पर आयोजित हुआ व्याख्यान
विश्‍वविद्यालय में स्वामी सहजानंद सरस्वती संग्रहालय के तत्वाधान में हबीब तनवीर सभागार में साहित्यक धरोहर और उसके संरक्षण को लेकर एक व्याख्यान आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति विभूति नारायण राय ने की। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में हिंदी साहित्य की प्रखर आलोचक निर्मला जैन उपस्थित थी। इस अवसर पर विश्वविद्यालय में कवि एवं साहित्यकार गजानन माधव मुक्तिबोध के तीन पुत्रों रमेश, दिवाकर और दिलीप मुक्तिबोध एक साथ नजर आए।
    अध्यक्षीय उदबोधन में कुलपति विभूति नारायण राय ने कहा कि यह संग्रहालय हिंदी विश्वविद्यालय की एक नई पहचान के रूप में उभर रहा है। इसमें प्राचीनकाल के कवियों की कृतियों और दुर्लभ पाण्डुलिपियों को रखा गया है जिनका किसी दूसरी जगह पर मिलना मुश्किल है। उन्होंने कहा कि संग्रहालय में रखी वस्तुओं को देखकर किसी देश की संस्कृति और सभ्यता को समझा जा सकता है। साथ ही कुलपति ने बताया कि विश्वविद्यालय में गांधी हिल के पास लगभग 12 करोड़ रूपए की लागत से एक नया संग्रहालय बनाया जा रहा है। जो विश्वविद्यालय का बड़ा और अद्वितीय संग्रहालय होगा जिसको वर्धा में आने वाले सभी पर्यटकों के लिए खोला जाएगा। उन्‍होंने कहा कि इस संग्रहालय में कला, संगीत, संस्‍कृति, साहित्‍य एवं नृत्‍य की अलग-अलग दीर्घाएं होंगी।
     कार्यक्रम की मुख्य अतिथि प्रो. निर्मला जैन ने कहा कि विश्‍वविद्यालय के संग्रहालय में आज जिस तरह से प्राचीन लेखकों की रचनाएं एवं पाण्डुलिपियां आ रही हैं यह एक सराहनीय पहल है। उन्‍होंने कहा कि संग्रहालय को चलाने और इसकी रक्षा करने की जिम्मेदारी विश्वविद्यालय के शिक्षकों की हैं। उन्होंने कहा कि हमें संग्रहालय का महत्व तब पता चलता है जब वे संग्रहालय में जाकर प्राचीन वस्तुओं को पढ़ते और देखते है। संग्रहालय हमें इतिहास के बारे में ज्ञान देता है।
    
संग्रहालय के प्रभारी तथा अनुवाद एवं निर्वचन विद्यापीठ के अधिष्ठाता प्रो. देवराज ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। कथाकार प्रो. दूधनाथ सिंह ने गजानन माधव मुक्तिबोध को लम्बी कविताओं का जनक और अनुगमनीय कवि बताया। हिंदी साहित्य के अधिष्ठाता प्रो. सूरज पालीवाल ने संग्रहालय की आवश्यक्ता और उसके संरक्षण विषय पर बोलते हुए कहा कि ये संग्रहालय विश्वविद्यालय की एक बड़ी विरासत है।उन्होंने बताया कि आज हमारे बीच इस संग्रहालय में कई तरह की प्राचीन पाण्डुलिपियां और विभिन्न सभ्यताओं से जुडी वस्तुएं मौजूद हैं। इस दौरान कवि विनोद कुमार शुक्‍ल ने मुक्तिबोध से जुड़े संस्‍मरण सुनाएं। वहीं केशव मलिक ने सत्‍यवती मलिक के जीवन के अनुछुए पहलुओं पर प्रकाश ड़ाला। आवासीय लेखक ऋतुराज, प्रो. सुरेश शर्मा, प्रो. के. के. सिंह, डॉ. रामानुज अस्‍थाना आदि ने संग्रहालय के भविष्‍य की रूपरेखा और विकास के बारे में अपनी भावनाएं व्‍यक्‍त की। कार्यक्रम का संचालन साहित्‍य विभाग की एसोसिएट  प्रो. डॉ प्रीति सागर ने किया एवं धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम के संयोजक संग्रहालय में कार्यरत व्याकरण अनुषंगी डॉ श्रीरमण मिश्र ने किया। कार्यक्रम में अध्‍यापक, अधिकारी एवं छात्र-छात्राएं बड़ी संख्‍या में मौजूद रहे।               

साहित्यकारों ने सौंपी पाण्डुलिपियां व रचनाएं

इस समारोह में साहित्यकारों ने स्वामी सहजानंद सरस्वती संग्रहालय के विकास के लिए विभिन्न साहित्यकारों की पाण्डुलिपियां और उनसे संबंधित अन्य सामग्री कुलपति विभूति नारायण राय को सौंपी। रमेश मुक्तिबोध द्वारा मुक्तिबोध की पाण्‍डुलिपियां, प्रो. दूधनाथ सिंह ने भैरव प्रसाद की पाण्डुलिपियां, कला समीक्षक व बलराज साहनी के भांजे केशव मलिक ने सत्यवती मलिक की पाण्डुलिपियां, डॉ. रामानुज अस्थाना ने प्रो. रमेशकुंतल मेघ की रचनाएं तथा परिमल प्रियदर्शी ने विजेन्द्र नारायण सिंह की पाण्डुलिपियां वा उनसे संबंधित  सामग्री कुलपति राय को सौंपी।

जनजातीय संग्रहालय का उदघाटन

      महात्‍मा गांधी अंतरराष्‍ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय में मानवविज्ञान विभाग द्वारा संचालित जनजातीय संग्रहालय का उदघाटन समता भवन में कुलपति विभूति नारायण राय ने स्‍वतंत्रता दिवस के मौके पर किया। विदित हो कि विश्‍वविद्यालय स्थित यह संग्रहालय अपने आप में अनूठा है। संग्रहालय भारत की जन‍जातियों की संस्‍कृति पर प्रकाश डालता है। संग्रहालय में 20 से भी ज्‍यादा मध्‍य एवं उत्‍तर भारत के जनजातियों की शिकार, कृषि, वेष-भूषा, घरेलू इत्‍यादि से संबंधित सामग्रियों का संग्रह है।
उदघाटन के अवसर पर कुलपति राय ने मानवविज्ञान विभाग के शिक्षकों एवं छात्रों की प्रशंसा करते हुए कहा कि बिना किसी आर्थिक सहायता के जनजातीय सामग्रियों को एकत्रित किया। उन्‍होंने बताया कि वर्धा लगभग भारत के मध्‍य में है। यदि हम 250 कि. मी. के आसपास के अंतर को रेखांकित करते है तो भारत भी लगभग 30 प्रतिशत आबादी इसी क्षेत्र में निवास करती है।
संग्रहालय के अनूठेपण के बारे में जनजातीय संग्रहालय के प्रभारी डॉ. वीरेन्‍द्र प्रताप यादव ने बताया कि वर्तमान समय में भारत में अनुसूचित जनजातियों की आबादी लगभग साढ़े आठ करोड़ है। जिसमें से आधी से ज्‍यादा जनजातीय जनसंख्‍या मध्‍य भारत में निवास करती है। यह हमारी खुशकिस्‍मती मे है कि हमारा विश्‍वविद्यालय मध्‍य भारत में है और इसके साथ यह हमारी जिम्‍मेदारी भी है कि मध्‍य भारत में निवास करने वाली जनजातियों की बहुमूल्‍य एवं अद्वितीय संस्‍कृति का हम संरक्षण करें तथा इसका ज्ञान छात्रों, अनुसंधानकर्ताओं तथा आम जनता तक बढ़ाये।
     मानवविज्ञान विभाग के अध्‍यक्ष डॉ. फरहद मलिक ने बताया कि संग्रहालय में प्रदर्शित सभी सामग्रियों को मानवविज्ञान विभाग के छात्रों तथा शोधार्थियों द्वारा क्षेत्र कार्य के दौरान संग्रहित किया गया है। क्षेत्रकार्य मानवविज्ञान के पाठ्यक्रम का अनिवार्य हिस्‍सा है।
     उदघाटन समारोह में कुलसचिव डॉ. कैलाश खामरे, कुलानुशासक प्रो. सूरज पालीवाल, आवासीय लेखक ऋतुराज, दूधनाथ सिंह तथा विनोद कुमार शुक्‍ल, सुप्रसिद्ध आलोचक प्रो. निर्मला जैन, प्रो. मनोजकुमार, प्रो. के. के. सिंह, प्रो. बी. एम. मुखर्जी, प्रो. अनिल के. राय, प्रो. देवराज, डॉ. नृपेन्‍द्र प्रसाद मोदी, विशेष कर्तव्‍य अधिकारी नरेंद्र सिंह, डॉ. राजीव रंजन राय, अनुसंधान अधिकारी आशुतोष कुमार एवं डॉ. परिमल प्रियदर्शी, डॉ. वीर पाल सिंह यादव, डॉ. राम प्रकाश यादव, बी. एस. मिरगे, राजेश लेहकपुरे सहित के छात्र एवं कर्मचारी बड़ी संख्‍या में उपस्थित थे। 

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