रविवार, 4 अगस्त 2013

हिंदी विश्वविद्यालय में ममता कालिया का कहानी पाठ

महात्‍मा गांधी अंतरराष्‍ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय के नागार्जुन सराय स्थित फैकल्‍टी एण्‍ड ऑफिसर्स क्‍लब में कहानीकार ममता कालिया के कहानी पाठ का आयोजन आखर अद्यतन के तत्‍वावधान में किया गया। समारोह की अध्‍यक्षता प्रसिद्ध आलोचक प्रो. निर्मला जैन ने की। इस अवसर पर कुलपति विभूति नारायण राय मुख्‍य अतिथि के रूप में उ‍पस्थित थे। अध्‍यक्षीय उदबोधन में प्रो. निर्मला जैन ने कहा कि राजनीति व पैसे की कश्‍मकश के बीच का समाज ममता कालिया की कहानी में आता है। यह कहानी युवाओं सहित सभी को सोचने पर मजबूर करती है। समाज में जब तक बैचेनी है तब तक मूल्‍य भी हैं। यदि बैचेनी नहीं बचेगी तो समाज का पतन होने का डर रहेगा। कुलपति विभूति नारायण राय ने ममता कालिया की कहानी पर अपना मंतव्‍य व्‍यक्‍त करते हुए कहा कि ममता की कहानी सधी हुई व कुशल भाषा में लिखी गई है। कहानी में जिन पात्रों का उल्‍लेख हुआ है उनमें से कुछ-एक के साथ तो हमारा परोक्ष या अपरोक्ष रूप से सामना भी हुआ है।
ममता कालिया के कहानी पाठ के पश्‍चात कई अन्‍य लोगों ने भी अपनी टिप्‍पणियां प्रस्‍तुत की जिनमें हिंदी के वरिष्‍ठ कथाकार दूधनाथ सिंह ने कहानी पर टिप्‍पणी करते हुए कहा कि कालिया की कहानी विवरण से घनत्‍व की ओर जाती हैं। विस्‍तार और घनत्‍व का अंतर्सबंध कहानी में प्रदर्शित होता है। पत्रकार राजकिशोर ने कहा कि कहानीकार की भाषा और हर समाज की पीढ़ा में अंतर है। इस अंतर को अपनी भाषा में कालिया ने परिभाषित किया है। कहानी में प्रेमचंद की शैली का अनुसरण ही है। साहित्‍य विद्यापीठ के अधिष्‍ठाता तथा समीक्षक प्रो.सूरज पालीवाल ने कहा कि कालिया के कहानी में परिवार का विघटन और छलावा प्रदर्शित होता है। उनकी कहानी टूटते हुए परिवार की दासतां है। युवा कहानीकार राकेश मिश्र ने कहानी को आस्‍वाद के स्‍तर पर बिना घालमेल व भाषिक प्रयोग की कहानी कहा। कार्यक्रम का संचालन आखर अद्यतन के संयोजक सहायक प्रोफेसर रूपेश कुमार सिंह ने किया। इस अवसर पर दैनिक भास्‍कर के संपादक प्रकाश दुबे, नया ज्ञानोदय के संपादक रवीन्‍द्र कालिया, प्रो. रामशरण जोशी, हिंदी के प्रसिद्ध कवि ऋतुराज प्रो. अनिल कुमार राय, आर. पी. सक्‍सेना, राकेश श्रीमाल, मनोज पांडेय सहित बड़ी संख्‍या में विद्यार्थी उपस्थित थे। 

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