गुरुवार, 23 मई 2013


अनुवादकों का बनेगा राष्‍ट्रीय डाटाबेस – प्रो. देवराज

अनुवाद दो भिन्‍न संस्‍कृतियों को जोडने का माध्‍यम है। भारतीय अस्मिता की पहचान बनाने के लिए अनुवाद एक महत्‍वपूर्ण साधन के रूप में उभर रहा है। अनुवाद के क्षेत्र में रोजगार की वैश्विक संभावनाएं और बढ़ रही है। उक्‍त आशय का वक्‍तव्‍य महात्‍मा गांधी अंतरराष्‍ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय के अनुवाद एवं निर्वचन विद्यापीठ के अधिष्‍ठाता प्रो. देवराज ने व्‍यक्‍त किये।
     सूचना प्रौद्योगिकी के विकास में अनुवाद की भूमिका पर प्रो. देवराज का मानना है कि सूचना प्रौद्योगिकी के विकास के साथ जीवन के विभिन्‍न क्षेत्रों में विकास की गति तेज हुई है तथा वैश्‍वीकरण की शक्तियों ने हर क्षेत्र को प्रभावित किया है। इससे अकादमिक जगत भी अछूता नहीं रहा है। परिणाम यह हुआ कि सूचना प्रौद्योगिकी के माध्‍यम से आज विभिन्‍न क्षेत्रों में विविध स्‍थानों पर किए जा रहे शोध को हम अपने डेस्‍कटॉप पर देख सकते हैं और उसकी समीक्षा कर सकते हैं। उन्‍होंने कहा कि विभिन्‍न भाषाओं में किए जाने वाले शोध को हिंदी एवं अन्‍य भारतीय भाषाओं के माध्‍यम से सबके लिए उपलब्‍ध कराना होगा। इस कार्य के लिए अनुवाद तथा अनुवाद प्रौद्योगिकी का सहारा देना होगा। विश्‍वविद्यालय में स्‍थापित अनुवाद प्रौद्योगिकी विभाग इस कार्य को आगे बढ़ाने के लिए तत्‍पर है। अनुवाद में रोजगार की संभावनाओं का जिक्र करते हुए उन्‍होंने कहा कि अनुवाद का पाठयक्रम पूरा करने पर राष्‍ट्रीय एवं अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर अनुवादक व दुभाषिए के रूप में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं। इससे इतर शैक्षणिक संस्‍थानों में राष्‍ट्रीय, अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर अनुवादक एवं दुभाषिए के रूप में, शैक्षणिक संस्‍थानों में अध्‍यापन के क्षेत्र में, राजभाषा अधिकारी के रूप में, बी.पी.ओ. एवं काल सेंटर में विदेशी भाषा इंटरप्रेटर के रूप में, पर्यटन उद्योग एवं होटल प्रबंधन के क्षेत्र में, अनुवाद प्रौद्योगिकी क्षेत्र में मशीनी अनुवाद और सिनेमेटिक अनुवाद का कार्य, फिल्‍म एवं टी.वी. में अनुवादक के रूप में, पत्रकारिता में अनुवादक के रूप में रोजगार की असीम संभावनाएं है।
विश्‍वविद्यालय के अनुवाद प्रौद्योगिकी विभाग के बारे में उन्‍होंने कहा कि वैश्विकरण के इस दौर में राष्‍ट्रीय एवं अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर दिन-प्रति दिन अनुवाद की महत्‍ता बढ़ती जा रही है। इसे बहुआयामी एवं स्‍वायत्‍त अनुशासन के रूप में पहचान मिल चुकी है, इसीलिए विश्‍वविद्यालय में अनुवाद एवं निर्वचन विद्यापीठ प्रारंभ हुआ। यह विद्यापीठ समस्‍त विश्‍वविद्यालयों में अद्वितीय है और इसके अंतर्गत कार्यरत अनुवाद प्रौद्योगिकी विभाग देश का एकमात्र ऐसा विभाग है, जो अनुवाद की तकनीकी, प्रणालीगत और रोजगारपरक संभावनाओं को यथार्थ में परिणत करने के लिए सतत प्रयासरत है। ज्ञात हो की इस विभाग द्वारा अनुवाद प्रौद्योगिकी में एम.ए., एम.फिल. तथा पीएच. डी. तथा हिंदी अनुवाद में एक वर्षीय स्‍नातकोत्‍तर डिप्‍लोमा, प्रयोजनमूलक हिंदी और अनुवाद में एक वर्षीय स्‍नातकोत्‍तर डिप्‍लोमा, निर्वचन में एम वर्षीय स्‍नातकोत्‍तर डिप्‍लोमा आदि पाठयक्रम संचालित किए जा रहे हैं। विभाग के छात्र नेट और जेआरएफ में भी सफल हो रहे हैं। जिससे वे उक्‍त पाठयक्रम पूरा करने पर विभिन्‍न संस्‍थानों में रोजगार पा रहे है। सी. डैक, बैंक, आईआईटी, एसएनडीटी, मुंबई जैसे संस्‍थानों में इस विभाग के छात्र कार्यरत है। भविष्‍य की योजनाओं के बारे में प्रो. देवराज का कहना है कि हम अनुवादकों का डाटाबेस बना रहे है। जिससे अनुवादकों की एक राष्‍ट्रीय सूची तयार होगी और अन्‍य भाषाओं से हिंदी में अनुवाद करने के लिए यह सूची आधार बनेगी। विभाग द्वारा ज्ञान सर्जन केंद्र बनाने की पहल की जा रही है। जिसके द्वारा से विज्ञान, समाज विज्ञान एवं मानविकी विषयों से जुड़े शोध अनुवाद के माध्‍यम से हिंदी में उपलब्‍ध हो सकेंगे। 

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