गुरुवार, 4 जुलाई 2013

हिंदी विवि में क्षमता निर्माण कार्यक्रम का समापन

शोध को विवेक और तर्क की कसौटी पर परखें : विभूति नारायण राय



शोध एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। शोध में सुधार की सबसे अधिक गुंजाइश रहती है। अपने शोध को स्‍तरीय बनाने के लिए उसे विवेक और तर्क की कसौटी पर परखा जाए। उक्‍त उदबोधन महात्‍मा गांधी अंतरराष्‍ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय के कुलपति विभूति नारायण राय ने दिये। वे विश्‍वविद्यालय में भारतीय सामाजिक अनुसंधान परिषद के सहयोग से आयोजित क्षमता निर्माण कार्यक्रम के समापन समारोह की अध्‍यक्षता कर रहे थे। भाषा विद्यापीठ के सभागार में चौदह दिवसीय कार्यक्रम का समापन सोमवार को हुआ। इस अवसर पर जाने माने चिंतक एवं सामाजिक कार्यकर्ता गौहर रजा प्रमुखता से उपस्थित थे।
कुलपति राय ने समाज विज्ञान में शोध की महत्‍ता को आरेखित करते हुए कहा कि समाज विज्ञान में अपने समय का महत्‍व बहुत अधिक है। हमारा समय एक अदभूत समय है। इस समय में परिवर्तन की आंधी सी चल रही है। जिससे धर्म, परिवार और राष्‍ट्र राज्‍य इन तीनों संस्‍थाओं को झकझोर कर रख दिया है। इन तीनों संस्‍थाओं के परंपरागत गढ़ को हमारे समय में आए परिवर्तनों ने ध्‍वस्‍त कर दिया है। यह बदलाव पिछले पचास वर्षों में आया है। हमारे समय की पहली पीढ़ी को इस पर विश्‍वास करना कठीन हो सकता है। उन्‍होंने कहा कि शोध कर्ताओं को चाहिए की वे इस यथार्थ को पकड़कर अपने शोध को पुख्‍ता बनाएं। कुलपि‍त राय ने कहा कि शोध करते समय परंरागत सोच को दूर रखकर वस्‍तुनिष्‍ठ प्रतिफल निकाले जाए। इस बात का जरूर ध्‍यान रखा जाना चाहिए की वस्‍तुनिष्‍ठता के अभाव में गलत शोध प्रस्‍तुत न हो।  इस अवसर पर कुलपति राय द्वारा सभी प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र प्रदान किए गए। इस दौरान गौहर रजा ने पॉवर प्‍वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्‍यम से समाज में बराबरी लाने के लिए साइंटिफिक टेंपर का प्रदर्शन किया। समाज में विज्ञान की पहुंच आसान बनाने के लिए विज्ञान शिक्षक को बढ़ावा देना चाहिए। उन्‍होंने शोधकर्ताओं से अपील की कि विश्‍लेषण के सांस्‍कृतिक मॉडल का उपयोग कर विज्ञान और आम आदमी में आए सांस्‍कृतिक अंतर को पाटने की जरूरत पर बल दिया। अपने विद्वतापूर्ण वक्‍तव्‍य में शोध प्रविधि की विभिन्‍न पद्धतियों को समझाया। कार्यक्रम का संचालन दूर शिक्षा के सहायक प्रोफेसर अमरेंद्र कुमार शर्मा ने किया तथा धन्‍यवाद ज्ञापन कार्यक्रम के संयोजक तथा दूर शिक्षा निदेशालय के क्षेत्रीय निदेशक रवींद्र बोरकर ने प्रस्‍तुत किया।
इस अवसर पर प्रो. अनिल कुमार राय, प्रो. रामशरण जोशी, प्रो. देवराज, क्षेत्रीय निदेशक डॉ. जयप्रकाश राय, डॉ. अनवर अहमद सिद्दीकी, डॉ. वीरपाल यादव, डॉ. सतीश पावडे, डॉ. विधु खरे दास, डॉ. चित्रा माली, डॉ. राजीव रंजन राय, डॉ. आर. पी. यादव, सुरजीत कुमार सिंह, राकेश मिश्र, डॉ. रयाज हसन, सह संयोजक अमित राय, डॉ. धनजंय सोनटक्‍के, दूर शिक्षा के सहायक प्रोफेसर शैलेश कदम मरजी, डॉ. रवी कुमार, मुन्‍नालाल गुप्‍ता, डॉ. प्रियराज महेशकर, डॉ. एन. एच. खोडे आदि सहित विभिन्‍न महाविद्यालयों के प्रतिभागी उपस्थित थे।  

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