हिंदी विश्वविद्यालय दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन
विकास के केंद्र में हो जनता -कुलपति विभूति नारायण राय
विकास के नाम पर
असंतुलन बढ़ रहा है। शहरीकरण की वजह से आदिवासी के संसाधनों का दोहन हो रहा है। यह
असंतुलन आगे चलकर आत्मघाती हो सकता है। ऐसे में हमें चाहिए कि आदिवासी समुदाय को
न्याय दिलाने की दिशा में ठोस कदम उठाकर उन्हें विकास के केंद्र में रखा जाए।
उक्त उदबोधन कुलपति विभूति नारायण राय ने व्यक्त किये। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय
हिंदी विश्वविद्यालय में मानवविज्ञान विभाग द्वारा भारतीय समाज विज्ञान अनुसंधान
परिषद तथा इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय के संयुक्त तत्वावधान में
आयोजित दो दिवसीय (26 व 27 अगस्त) राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन मंगलवार को हबीब
तनवीर सभागार में कुलपति विभूति नारायण राय की अध्यक्षता में हुआ। इस अवसर पर वे
बोल रहे थे।
इस दौरान पर मंच वेंकट
राव, डॉ. फरहद मलिक उपस्थित थे। संगोष्ठी के समापन
पर देशभर से उपस्थित हुए मानवविज्ञानी, सेवानिवृत्त
आईपीएस अधिकारी, शिक्षक तथा विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कुलपति राय ने कहा कि दो
दिन के दौरान हमने विभिन्न क्षेत्रों से आए लोगों के विचार सुने। आदिवासी के
विकास को लेकर हमने दोनों पक्ष को सुना। इस चर्चा से स्पष्ट हुआ कि जल, जंगल और जमीन,
खनिज सम्पदा जैसे प्राकृतिक संसाधनों पर
कब्जा हो रहा है। उनकी आबादी भी घट रही है। उनका संतुलित और स्वस्थ विकास बाधित
हो रहा है। स्वाधीन भारत में विकास का जो मॉडल हमने तय किया था, उसे हम प्रत्यक्ष रूप से साकार नहीं कर पाए है। उन्होंने माना कि जनता
को विकास के केंद्र में नहीं रखा जाता तबतक हमें इसपर सफलता हासिल नहीं होगी।
इस दौरान वेंकट राव
ने भी विचार रखे। उन्होंने कहा कि लोगों को विकास चाहिए। इसके लिए हमें दृष्टिकोन
बदलने की आवश्यकता है। समापन सत्र में वरिष्ठ पत्रकार ललित सुरजन, प्रफुल्ल सामंत, प्रो. बी. पी. शर्मा,
सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी तथा सामाजिक कार्यकर्ता कमल टावरी, रवि गुप्ता आदि ने संगोष्ठी के आयोजन के बारे में अपनी प्रतिक्रियाएं
व्यक्त की। उन्होंने कुलपति राय को इस प्रकार के आयोजन के लिए धन्यवाद दिया। समापन
सत्र का संचालन मानवविज्ञान विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. निशीथ राय ने किया। इस
दौरान देशभर के विभिन्न विश्वविद्यालयों से आए करीब 70 प्रतिभागी, मानवविज्ञानी, सामाजिक कार्यकर्ता, सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी तथा शोधार्थी व
छात्र-छात्राएं बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
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