ममता कालिया के कहानी पाठ के
पश्चात कई अन्य लोगों ने भी अपनी टिप्पणियां प्रस्तुत की जिनमें हिंदी के
वरिष्ठ कथाकार दूधनाथ सिंह ने कहानी पर टिप्पणी करते हुए कहा कि कालिया की कहानी
विवरण से घनत्व की ओर जाती हैं। विस्तार और घनत्व का अंतर्सबंध कहानी में
प्रदर्शित होता है। पत्रकार राजकिशोर ने कहा कि कहानीकार की भाषा और हर समाज की
पीढ़ा में अंतर है। इस अंतर को अपनी भाषा में कालिया ने परिभाषित किया है। कहानी
में प्रेमचंद की शैली का अनुसरण ही है। साहित्य विद्यापीठ के अधिष्ठाता तथा
समीक्षक प्रो.सूरज पालीवाल ने कहा कि कालिया के कहानी में परिवार का विघटन और
छलावा प्रदर्शित होता है। उनकी कहानी टूटते हुए परिवार की दासतां है। युवा
कहानीकार राकेश मिश्र ने कहानी को आस्वाद के स्तर पर बिना घालमेल व भाषिक प्रयोग
की कहानी कहा। कार्यक्रम का संचालन आखर अद्यतन के संयोजक सहायक प्रोफेसर रूपेश
कुमार सिंह ने किया। इस अवसर पर दैनिक भास्कर के संपादक प्रकाश दुबे, नया
ज्ञानोदय के संपादक रवीन्द्र कालिया, प्रो. रामशरण जोशी, हिंदी के प्रसिद्ध कवि
ऋतुराज प्रो. अनिल कुमार राय, आर. पी. सक्सेना, राकेश श्रीमाल, मनोज पांडेय सहित बड़ी
संख्या में विद्यार्थी उपस्थित थे।
रविवार, 4 अगस्त 2013
हिंदी विश्वविद्यालय में ममता कालिया का कहानी पाठ
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