हिंदी विश्वविद्यालय ने मनाया अर्थ आवर
पर्यावरण जागरूकता के लिए बिजली बंद कर निकाला कैंडिल मार्च
धरती और
प्रकृति की खातिर महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय,
वर्धा में 23 मार्च (शनिवार) को रात्रि 8.30 से 9.30 बजे तक एक घंटे के लिए बिजली
बंद कर ‘अर्थ आवर’
मनाया गया।
आम जनों में ऊर्जा के इस्तेमाल व पर्यावरण
के प्रति जागरूकता लाने के उद्देश्य से विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ.के.जी.खामरे, वित्ताधिकारी संजय भास्कर गवई, पर्यावरण क्लब के प्रभारी अनिर्वाण
घोष की उपस्थिति में अधिकारियों,
कर्मियों व विद्यार्थियों द्वारा कैंडिल मार्च निकाला गया। कैंडिल मार्च विश्वविद्यालय
परिसर के केदारनाथ संकुल से शुरू हुआ। यह कैंडिल मार्च सावित्री बाई फुले महिला
छात्रावास से होते हुए शमशेर संकुल, हॉस्पीटल, फिल्म
एवं नाट्य अध्ययन विभाग,
अज्ञेय संकुल, नागार्जुन सराय होते हुए
नजीर हाट पर समाप्त हुआ। इस अवसर पर सभा को संबोधित करते हुए डॉ.के.जी.खामरे ने
कहा कि जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा संरक्षण के लिए लोगों में दिलचस्पी को देखकर मैं
बहुत उत्साहित हूँ। हम सभी को पूरे वर्ष अर्थ आवर के उद्देश्यों को आत्मसात
करने की जरूरत है।
इस दौरान पर्यावरण क्लब के प्रभारी
अनिर्बाण घोष ने कहा कि वर्ल्ड वाइड
फंड फॉर नेचर (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) द्वारा शुरू किए गए अर्थ आवर अभियान के तहत
वर्ष 2007 में आस्ट्रेलिया के सिडनी शहर
से इसकी शुरूआत हुई और अब दुनिया भर के 131 देशों के 4,000
से ज्यादा शहर इस आयोजन में हिस्सेदारी कर रहे हैं। हमारा विश्वविद्यालय
पर्यावरण के प्रति अतिसंवेदनशील है। अगले
वर्ष से वृहद् पैमाने पर अर्थ आवर मनाने का संकल्प लेते हुए उन्होंने कहा कि
पर्यावरण संकट से जूझ रही दुनिया को बचाने की मुहिम में आप अपना महत्वपूर्ण
योगदान दें, जिससे दुनिया बची रह सके।
उन्होंने कुलपति विभूति नारायण राय, प्रतिकुलपति
प्रो.ए.अरविंदाक्षन, विशेष कर्तव्याधिकारी नरेन्द्र सिंह, राष्ट्रीय सेवा योजना के प्रभारी डॉ.सतीश पावडे के प्रति आभार जताते हुए
कहा कि हमें ये पर्यावरण जागरूकता के लिए
निरंतर प्रोत्साहित करते रहते हैं। अर्थ आवर मनाने के लिए भी इन्होंने हमें
भरपूर सहयोग दिया।
कैंडिल मार्च में विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय
सेवा योजना के सदस्यों ने खासी दिलचस्पी ली। कार्यक्रम के दौरान प्रो.शंभू गुप्त, डॉ.अनिल कुमार पांडेय, बी.एस.मिरगे, शैलेश मरजी कदम,
शंभू जोशी, अमित विश्वास, डॉ.मिथिलेश, सत्यम सिंह, विनय भूषण, कमला
थोकचोम देवी, चित्रलेखा अंशु, विनीत
कुमार, राज राजेश्वर, भारती देवी, अनुपमा पांडेय सहित सैकड़ों कर्मी, शोधार्थी व
विद्यार्थी
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