रोजगार परक हो अनुवाद –कुलपति विभूति नारायण राय
हिंदी विश्वविद्यालय में भारतीय भाषाएँ और अनुवाद प्रोद्योगिकी पर राष्ट्रीय कार्यशाला का उदघाटन
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में अनुवाद
प्रौद्योगिकी विभाग, अनुवाद एवं निर्वचन विद्यापीठ द्वारा भारतीय भाषाएँ और अनुवाद
प्रोद्योगिकी पर आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के उदघाटन समारोह की अध्यक्षता
करते हुए कुलपति विभूति नारायण राय ने कहा कि हाल के दिनों में अनुवाद एक व्यापार
की तरह विकसित हो रहा है। इसे रोजगार परक बनाया जाना चाहिए ताकि इस चुनौतीपूर्ण
क्षेत्र में छात्र रोजगार पा सकें।
विश्वविद्यालय के हबीब तनवीर सभागार में बुधवार को इस
तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का उदघाटन हुआ। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के
अतिथि लेखक दूधनाथ सिंह, प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ प्रो. ओम विकास, अनुवाद एवं
निर्वचन विद्यापीठ के अधिष्ठाता प्रो. देवराज, संयोजक डॉ. अन्नपूर्णा सी मंचासीन
थे। कुलपति राय ने कहा की पूरे देश में हमारे विश्वविद्यालय में अनुवाद का एक
मात्र विभाग है। हमारे पास भाषा भी है। यदि हमें मशीन का सहयोग मिले तो हम बेहतर
मशीनी अनुवाद कर सकते हैं और इससे हमारे छात्रों को रोजगार दिला सकते है। अतिथि लेखक
दूधनाथ सिंह का मानना था कि अनुवाद के लिए पारिभाषिक शब्दावली का ज्ञान होना एक
अनिवार्य शर्त है। साहित्य के अनुवाद का जिक्र कर रवींद्रनाथ ठाकुर की रचना का
उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि मूल रचना से भी अनुवाद में गहरायी नजर आती है। प्रो.
देवराज ने अपने बीज वक्तव्य में अनुवाद की महत्ता को रेखांकित करते हुए
प्रौद्योगिकी के माध्यम से मशीनी अनुवाद के विकास की बात कहीं। कार्यशाला की
भूमिका एवं विषय प्रवर्तन डॉ. अन्नपूर्णा सी ने किया। प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत
पुष्पगुच्छ और स्मृतिचिन्ह प्रदान कर किया गया। कार्यक्रम का संचालन अनुवाद
एवं निर्वचन विद्यापीठ के सहायक प्रोफेसर डॉ. अनवर अहमद सिद्दीकी ने किया तथा धन्यवाद
ज्ञापन डॉ. रामप्रकाश यादव ने प्रस्तुत किया। समारोह में भाषा विद्यापीठ के अधिष्ठाता
प्रो. हमुमान प्रसाद शुक्ल, समाज विज्ञान और मानविकी विद्यापीठ के अधिष्ठाता
प्रो. अनिल के राय अंकित, सृजन विद्यापीठ के अधिष्ठाता प्रो. सुरेश शर्मा, साहित्य
विभाग के अध्यक्ष प्रो. के. के. सिंह, सहायक प्रोफेसर राजीव रंजन राय, हरप्रीत
कौर, शैलेष कदम मरजी समेत विषय विशेषज्ञ, देशभर से आए प्रतिनिधि, विश्वविद्यालय
के शोधार्थी तथा छात्र-छात्राएं बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
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