फैकल्टी एण्ड ऑफीसर्स क्लब ने किया अतिथि लेखकों का स्वागत
कवि ऋतुराज, कवि -उपन्यासकार
विनोद कुमार शुक्ल तथा साठोत्तरी कथा पीढ़ी के प्रमुख स्तंभ दूधनाथ सिंह महात्मा
गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के तीन नये अतिथि लेखक होंगे। प्रसिद्ध
कथाकार व कथालोचक विजय मोहन सिंह तथा कथाकार संजीव का कार्याकाल समाप्त होने पर
कुलपति विभूतिनायायण राय ने ये नियुक्तियां की हैं। शनिवार को फैकल्टी एण्ड
ऑफीसर्स क्लब की ओर से नागार्जुन सराय अतिथि गृह के लॉन पर एक समारोह का आयोजन
किया गया जिसमें विजय मोहन सिंह समेत तीनों अतिथि लेखकों का कुलपति विभूति नारायण
राय द्वारा सम्मान किया गया। इस समारोह में प्रतिकुलपति प्रो. ए. अरविंदाक्षन, कुलसचिव डॉ. कैलाश
खामरे,वित्ताधिकारी
संजय गवई समेत विभिन्न विद्यापीठों के अधिष्ठाता, अध्यापक एवं अधिकारी प्रमुखता से उपस्थित
थे।
अतिथि लेखक के रूप में अपने एक वर्ष
के कार्यकाल को रेखांकित करते हुए विजय मोहन सिंह ने विश्वविद्यालय परिवार के स्नेह, सहयोग और आत्मीयता
के प्रति अपनी भावनाएं व्यक्त की। उन्होंने कहा कि मैं यहां से बहुत कुछ लेकर जा
रहा हूं। इस कार्यकाल को उन्होंने अपने जीवन का सर्वोत्तम काल कहा। इस अवसर पर
नवनियुक्त तीनों अतिथि लेखकों ने कुलपति
राय को धन्यवाद देते हुए कहा कि उन्होंने अपने कार्यकाल में वर्धा में स्थापित इस
विश्वविद्यालय को एक नई उंचाई पर लाकर खड़ा किया है। कुलपति राय ने सभी अतिथि
लेखकों के स्वागत में कहा कि इन महान लेखकों की उपस्थिति से विश्वविद्यालय अपने को
गौरवान्वित महसूस कर रहा है। इनका लाभ विश्वविद्यालय के छात्रों समेत अध्यापकों को
भी मिलेगा। समारोह में प्रतिकुलपति प्रो. अरविंदाक्षन ने भी अपना वक्तव्य दिया।
अतिथि लेखक के रूप में विवि परिवार
में शामिल ऋतुराज कविता के वाद-प्रतिवाद और तथाकथित गुटबंदी परक आंदोलनों से दूर
सातवें दशक के एक विरल कवि हैं। कविता की प्रखर राजनैतिकता के दौर में उन्होंने
अपनी काव्यभाषा के लिये एक नितांत निजी मुहावरा रचा और अँगीठी में सुलगती आग की
तरह उनकी कविताएँ आज भी नये कवियों के लिए अपरिहार्य बनी हुई हैं।
दूसरे महत्वपूर्ण अतिथि लेखक विनोद
कुमार शुक्ल ‘दीवार में
खिड़की रहती थी’ के लिये
साहित्य अकादमी से पुरस्कृत हैं । नौकर की कमीज, दीवार में खिड़की रहती थी और खिलेगा तो
देखेंगे यह उनके तीन उपन्यास हैं जो भारतीय निम्न मध्यवर्ग का एक आधुनिक
महाकाव्यात्मक शास्त्र प्रदर्शित करता है। एक और महत्वपूर्ण अतिथि लेखक दूधनाथ
सिंह साठोत्तरी कथा पीढ़ी के तेजस्वी लेखकों में से है। कहानियों के अलावा निराला
एवं महादेवी पर उनका आलोचनात्मक कार्य हिंदी साहित्य क्षेत्र में महानतम कार्य रहा
है। ‘लौट आ ओ
धार!’ यह संस्मरण
और ‘यमगाथा’ यह नाटक भी उनकी
रचनाओं में शामिल है। समारोह का संचालन अमरेन्द्र कुमार शर्मा ने किया।
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