रविवार, 27 अक्टूबर 2013

हिंदी विवि में ‘वर्धा शब्दकोश’ और स्पेल चेकर ‘सक्षम’ का लोकार्पण



वर्धा शब्‍दकोश में हैं ज्ञान के विविध अनुशासनों के शब्‍द भंडार : प्रो.जैन
महात्‍मा गांधी अंतरराष्‍ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय की बहुआयामी परियोजना के तहत प्रकाशित वर्धा शब्‍दकोश का लोकार्पण हिंदी की सुप्रसिद्ध आलोचक प्रो.निर्मला जैन ने शनिवार को नागार्जुन सराय में आयोजित एक भव्‍य समारोह में किया। इस अवसर पर कुलपति विभूति नारायण राय, प्रतिकुलपति प्रो.ए.अरविंदाक्षन, वर्धा शब्‍दकोश के संपादक प्रो.आर.पी.सक्‍सेना मंचस्‍थ थे। समारोह में शमशेर रचनावली’, हिंदी स्‍पेल चेकर सॉफ्टवेयर सक्षम’, ब्‍लॉग समय डॉट कॉम एग्रीगेटर और बहुवचन पत्रिका के सिनेमा विशेषांक का भी लोकार्पण मंचस्‍थ अतिथियों द्वारा किया गया।
वर्धा शब्‍दकोश के संपादक प्रो.आर.पी.सक्‍सेना ने कहा कि कुलपति श्री राय का मिशन था कि यह एक मानक शब्‍दकोश के रूप में जाना जाए। इसे ध्‍यान में रखकर ही वर्धा शब्‍दकोश का निर्माण किया गया है। उन्‍होंने इस बात पर जोर दिया कि हिंदी शब्‍दकोशों में वर्तनी की एकरूपता का प्राय: अभाव है। वर्धा शब्‍दकोश इस दृष्टि से भी महत्‍वपूर्ण है कि इसमें वर्तनी की एकरूपता का ध्‍यान रखते हुए बहुधा प्रयुक्‍त शब्‍दों को समाहित किया गया है।
बतौर मुख्‍य अतिथि प्रो.निर्मला जैन ने कहा कि कुलपति राय अपना काम बड़ी तन्‍मयता के साथ करते हैं। वे जो ठान लेते हैं, उसे पूरा कर ही लेते हैं। उन्‍होंने कहा कि वर्धा शब्‍दकोश का प्रकाशन हिंदी जगत के लिए एक ऐतिहासिक महत्‍व रखता है। यह अपने ढंग का पहला हिंदी शब्‍दकोश है, जिसमें बोलचाल की भाषा में अक्‍सर प्रयुक्‍त होने वाले शब्‍दों को प्राथ‍मिकता के आधार पर शामिल किया गया है। इसमें ज्ञान के विविध अनुशासनों के शब्‍दों को लिया गया है।
विश्‍वविद्यालय के आवासीय लेखक प्रो.दूधनाथ सिंह ने शमशेर रचनावली के संदर्भ में बोलते हुए शमशेर की कविताओं के कालक्रमिक अध्‍ययन की कठिनाइयों का संकेत किया। उन्‍होंने शमशेर की कविताओं में विषयों के वैविध्‍य की चर्चा करते हुए उनके भाव सौंदर्य को रेखांकित किया। भाषा विद्यापीठ के एसोशिएट प्रोफेसर जगदीप सिंह दांगी ने कहा कि विश्‍वविद्यालय के अंतरराष्‍ट्रीय स्‍वरूप को ध्‍यान में रखकर पहली बार हिंदी वर्तनी परीक्षक सक्षम सॉफ्टवेयर का निर्माण किया गया है। इससे हिंदी में काम करने वाले लोगों को शुद्ध हिंदी लिखने में मदद मिलेगी। इस सॉफ्टवेयर में लगभग सत्‍तर हजार शब्‍द शामिल हैं, निकट भविष्‍य में इसमें शब्‍दों की संख्‍या दो लाख तक हो जाएगी। ब्‍लॉग समय डॉट कॉम के संदर्भ में लीला के प्रभारी गिरीश चंद्र पांडेय ने कहा कि यह हिंदी जगत के लिए तोहफे के समान है, इससे जुड़कर एक साथ कई ब्‍लॉगों की खबरें समेकित रूप में देखी जा सकेंगी।
अध्‍यक्षीय वक्‍तव्‍य में कुलपति विभूति नारायण राय ने कहा कि हिंदी भाषा के संवर्धन के लिए ज्ञान के उत्‍पादन में आज का दिन खास महत्‍व का होगा। आज ऐसे शब्‍दकोश और सॉफ्टवेयर का लोकार्पण हुआ है जो हिंदी जगत के लिए अद्वितीय है। उन्‍होंने कहा कि मेरे मन में बहुत दिनों से यह बात चल रही थी कि अंग्रेजी की तरह ही हिंदी में कोई स्‍पेल चेकर हो, जो गलत शब्‍द टाइप करते ही हमें सही शब्‍द बताए। उन्‍होंने इस बात पर अफसोस जाहिर किया कि हिंदी शब्‍दकोशों की हर वर्ष समीक्षा नहीं होती। इस कारण नए प्रचलित शब्‍दों को उनमें जगह नहीं मिल पाती है। हमारा यह प्रयास होना चाहिए कि अंग्रेजी के ऑक्‍सफोर्ड और कैम्ब्रिज शब्‍दकोशों की तरह हिंदी में वर्धा शब्‍दकोश का निरंतर संशोधन और प‍रिवर्धन होता रहे ताकि नए प्रचलित शब्‍दों और उनकी अर्थ छवियों से हिंदी के प्रयोगकर्ताओं को परिचित कराया जा सके। उन्‍होंने सक्षम सॉफ्टवेयर, ब्‍लॉगसमयडॉटकॉम की उपादेयता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज के तकनीक प्रधान युग में कोई भाषा तभी जीवित रहेगी जब वह तकनीक और प्रौद्योगिकी से जुड़कर चलेगी। इस दृष्टि से हिंदी के विकास के संदर्भ में इस बात की अनदेखी नहीं की जा सकती है। भारतीय सिनेमा के सौ वर्ष पूरे होने पर कई पत्रिकाओं ने विशेषांक निकाले हैं। बहुवचन का यह सिनेमा विशेषांक बहुत ही अच्‍छा निकला है, कई अच्‍छे लेख सिनेमा के नए विमर्श के लिए उपयोगी साबित होंगे।       
साहित्‍य विभाग के अध्‍यक्ष प्रो.के.के.सिंह ने संचालन किया तथा प्रकाशन प्रभारी डॉ.बीरपाल सिंह ने आभार व्‍यक्‍त किया।

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