बुधवार, 2 अक्टूबर 2013

हिंदी विश्वविद्यालय में गांधी जयंती समारोह



गतिमान जीवन में गांधी को पकड़ पाना मुश्किल-डॉ. विभा गुप्‍ता

गांधी जी ने अधिकार के बजाए कर्तव्‍य की लड़ाई लड़ी थी। उन्‍होंने समर्पण और प्रेम से जीवन का परिचय कराया था परंतु आज के गतिमान जीवन में गांधी के जीवन को जिना और उसे पकड़ पाना बेहद मुश्किल काम है। उक्‍त विचार मगन संग्रहालय, वर्धा की अध्‍यक्ष डॉ. विभा गुप्‍ता ने व्‍यक्‍त किये। वह महात्‍मा गांधी अंतरराष्‍ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय में बुधवार को प्रात: 6.30 बजे धासतुत‍ाहनकलयमआयोजित गांधी जयंती समारोह में बतौर मुख्‍य वक्‍ता बोल रही थी। समारोह की अध्‍यक्षता कुलपति विभूति नारायण राय ने की। इस अवसर पर प्रतिकुलपति प्रो. ए. अरविंदाक्षन, कुलसचिव डॉ. कैलाश खामरे व विवि के अहिंसा एवं शांति अध्‍ययन विभाग के अध्‍यक्ष डॉ. नृपेंद्र प्रसाद मोदी मंचासीन थे।
डॉ. गुप्‍ता ने अपने पिता देवेंद्र भाई गुप्‍ता से मिली प्रेरणा और प्रोत्‍साहन को याद करते हुए कहा कि गांधी जी ने गांवों को पर्यावरण के अनुकूल बनाकर उनका विकास करने की बात कही थी। परंतु आज गांवों के हालात ऐसे है कि लगभग 70 प्रतिशत गावों में सौचालय नहीं है और लगभग 60 प्रतिशत गावों में पिने का साफ पानी मुनासिब नहीं है। हम गांधी विचार के साथ विज्ञान को जोड़ कर इस तरह की समस्‍याओं से निजात पा सकते हैं। अध्‍यक्षीय उदबोधन में कुलपति विभूति नारायण राय ने कहा कि गांधी जी के सपनों के कार्यक्रम को हमें नयी दृष्टि से उसे अमल में लाना चाहिए। उन्‍होंने देवेंद्र भाई गुप्‍ता के कार्यों पर प्रकाश ड़ाला। समारोह से पूर्व कुलपति राय, डॉ. विभा गुप्‍ता समेत उपस्थितों ने गांधी प्रतिमा पर पुष्‍पांजलि अर्पित कर उन्‍हें अभिवादन किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. नृपेंद्र प्रसाद मोदी ने किया तथा धन्‍यवाद ज्ञापन कुलसचिव डॉ. कैलाश खामरे ने प्रस्‍तुत किया। दामोदर राउत तथा उनकी टीम में शामिल शशांक भतखल, अरविंद वंजारी व अतुल वानखेडे ने वैष्‍णव जन तो और इतनी शक्ति दे न दाता... गीत प्रस्‍तुत किये। समारोह में अध्‍यापक, अधिकारी,छात्र-छात्राएं और कर्मी बड़ी संख्‍या में उपस्थित थे।
दिनकर केक्‍टस उद्यान का उदघाटन
गांधी जयंती के मौके पर विश्‍वविद्यालय के मुख्‍य प्रवेश द्वारा के समीप बने दिनकर केक्‍टस उद्यान तथा दिनकर की प्रतिमा का उदघाटन किया गया। इस अवसर पर कुलपति विभूति नारायण राय, साहित्‍यकार से. रा. यात्री, विश्‍वविद्यालय के आवासीय लेखक दूधनाथ सिंह, कुलसचिव डॉ. कैलाश खामरे, विशेष कर्तव्‍य अधिकारी नरेंद्र सिंह, उपकुलसचिव पी. एस. सिंह समेत अधिकारी एवं अध्‍यापक प्रमुखता से उपस्थित थे।    

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