सोमवार, 28 अक्टूबर 2013

रचनात्‍मकता की भूमि बने वर्धा – कुलपति विभूति नारायण राय

महात्‍मा गांधी अंतरराष्‍ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय का परिसर अब पंचटीला से गांधी हिल्‍स में परिवर्तित हुआ है। अनेक प्रकार की भौगोलिक समस्‍याओं के होते हुए भी यह विश्‍वविद्यालय इसके साथ स्‍थापित हुए विश्‍वविद्यालयों से आगे है। मैं चाहता हूं यह विश्‍वविद्यालय रचनात्‍मकता की वजह से जाना जाए और वर्धा एक रचनात्‍मकता की भूमि बनें। उक्‍त उदगार विश्‍वविद्यालय के कुलपति विभूति नारायण राय ने सोमवार को आयोजित उनके सम्‍मान में बधाई और शुभकामनाएं कार्यक्रम में व्‍यक्‍त किये। कुलपति के रूप में अपने कार्यकाल के पांच वर्ष उन्‍होंने पूरे किये और उन्‍हें राष्‍ट्रपति महोदय के आदेश के तहत और तीन महीने का सेवाविस्‍तार दिया गया, इस उपलक्ष्‍य में विश्‍वविद्यालय के शैक्षणिक और गैर-शैक्षणिक कर्मचारी संघ के संयुक्‍त तत्‍वावधान में हबीब तनवीर सभागार में एक समारोह का आयोजन किया गया। इस समारोह में कुलपति राय ने विवि के विकास में योगदान को रेखांकित करते हुए सभी को धन्‍यवाद दिया।
वरिष्‍ठ प्रोफेसर मनोज कुमार की अध्‍यक्षता में आयोजित समारोह में प्रतिकुलपति प्रो. ए. अरविंदाक्षन, शैक्षणिक कर्मचारी संगठन के अध्‍यक्ष प्रो. संतोष भदौरिया, शिक्षकेतर कर्मचारी संघ के अध्‍यक्ष विजयपाल पांडे तथा महासचिव मनोज द्विवेदी मंचस्‍थ थे।
समारोह का ‘सृजन और निर्माण की सफलता के पांच वर्ष’ नाम दिया गया था। विवि की विकास यात्रा पर बोलते हुए कुलपति राय ने कहा सभी ने मिलकर काम करने से यह सफलता हासिल हुई है। अब यहां इमारतें बन गयी हैं अब हमें अकादमिक कंटेंट पर काम करना होगा। ज्ञान का उत्‍पादन कर ऐसे छात्र और अध्‍यापक तैयार करने होंगे जिसके ऊपर शैक्षणिक जगत में विवि का नाम फक्र से लिया जा सके। वर्धा शब्‍दकोश का जिक्र करते हुए उन्‍होंने कहा कि अब तक हिंदी में बने शब्‍दाकोशों से परे है यह शब्‍दकोश। इसके नियमित संस्‍करण प्रकाशित होने रहने पर यह एक दिन ऑक्‍सफोर्ड शब्‍दकोश की तरह विश्‍व में पहचाना जाएगा। उन्‍होंने कहा कि विश्‍वविद्यालय का समाजविज्ञान कोश भी बनकर तैयार है जिसे शीघ्र ही प्रकाशित किया जाएगा। ‘मसि कागद छुयों नहीं कलम गहृयों नहीं हाथ’ क‍बीर की पंक्ति का उल्‍लेख करते हुए उन्‍होंने कहा कि आज समय तकनीक आधारित हो गया है जिसका विस्‍तार सोशल मीडिया और इंटरनेट आदि पर कई रूपों में देखा जा सकता है, हमें चाहिए हिंदी को अधिक से अधिक तकनीक से जोडें। इसी दिशा में दुनिया में हिंदी का पहला स्‍पेल चेकर इस विश्‍वविद्यालय ने तैयार किया है। विवि की तकनीक आधारित और एक सफलता का उल्‍लेख करते हुए उन्‍होंने कहा कि हिंदीसमयडॉटकॉम अब विश्‍व के हिंदी प्रेमियों में पहचाने जाने लगा है।
मैंने अपने कार्यकाल में 17 देशों की यात्रा की और जहां गया वहां इसकी चर्चा सुनने को मिली। तकनीक से हमें मिली इस सफलता की वजह से अब हमें कोई इग्‍नोर नहीं कर सकता और हमारी उपस्थिति हर जगह दर्ज की जा रही है।
इस अवसर पर प्रो. अरविंदाक्षन ने कहा कि केवल इमारतों की वजह से ही नहीं बल्कि विवि के अंदर की गतिविधियों से भी दूरदर्शिता झलकती है। इलाहाबाद केंद्र के प्रभारी प्रो. संतोष भदौरिया ने कहा कि कुलपति राय ने अपने ऊर्जा भरे और रचनात्‍मक वर्ष विवि को दिये हैं। डॉ. एम. एल. कासारे ने कहा कि कुलपति राय ने सेक्‍युलर सोसायटी की कल्‍पना कर इसे वास्‍तव में उतारा है। अध्‍यक्षीय उदबोधन में प्रो. मनोज कुमार ने कहा कि कुलपति राय ने अपने सपनों को वर्धा की धरती पर उतारा है। उनके पांच वर्ष का सफर विचारधारा का सफर है। समारोह का संचालन सहायक प्रोफेसर तथा शैक्षणिक कर्मचारी संघटन के महासचिव निशीथ राय ने किया। आभार मनोज द्विवेदी ने माना। समारोह में अध्‍यापक, अधिकारी, कर्मी एवं छात्र-छात्राएं भारी संख्‍या में उपस्थित थे।

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