हिंदी विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कविता महोत्सव का उदघाटन
कविता अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम –कुलपति
विभूति नारायण राय
कविता मनुष्य के
दिलों को जोड़ने वाली अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम है। दुनियाभर की कविताएं अपने
मिजाज में गैर-बराबरी और असमानता के खिलाफ होती है। ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ जो हमारी संस्कृति से निकला सबसे पुराना काव्य
है, आज इस अंतरराष्ट्रीय
कविता महोत्सव का भी केंद्रीय विषय है। कवियों के लिए भाषा कोई बंधन नहीं होती है
दुनिया भर के कवियों को पाकर हम आह्लादित हैं।
उक्त उद्बोधन महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय
हिंदी विश्वविद्यालय,
वर्धा के कुलपति विभूति नारायण राय ने व्यक्त किए। वे रविवार दि. 15 को विश्वविद्यालय
और कृत्या के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित त्रिदिवसीय अंतरराष्ट्रीय कृत्या
कविता महोत्सव के उदघाटन समारोह की अध्यक्षता करते हुए बोल रहे थे। इस अवसर पर
गुजराती कवि सीतांशु यशस्चन्द्र, विवि के कुलसचिव डॉ. के. जी. खामरे, कृत्या की निदेशक रति सक्सेना और आयोजन सचिव
राकेश मिश्र मंचस्थ थे।
हबीब तनवीर सभागार में दुनियाभर से आए कवियों को
संबोधित करते हुए कुलति श्री राय ने कहा कि निश्चित रूप में साहित्यिक-सांस्कृतिक-आर्थिक
विकास में कविता अमूल्य योगदान देती है। उदघाटीय वक्तव्य में गुजराती भाषा के सुप्रसिद्ध
कवि सीतांशु यशस्चन्द्र ने कहा कि कविता मनुष्य के लिए धमनी में रक्त की तरह
है। उन्होंने कालिदास, कबीर, नरसिंह मेहता जैसे मानवतावादी कवियों का उदाहरण
देते हुए कहा कि इन्होंने अपनी कविता से विश्व बंधुत्व को मजबूत किया है। गांधीजी
ने अपने प्रिय भजन ‘वैष्णव जन...’ के माध्यम से समाज को जोड़ा। वर्धा और महात्मा
गांधी को उल्लेखित करते हुए उन्होंने कहा कि सत्य, अहिंसा और सत्याग्रह की इस पावन भूमि में यह
आयोजन हो रहा है,
नि:संस्देह इस महोत्सव के माध्यम से बसुवैध कुटुम्बकम की परिकल्पना को बल
मिलेगा।
कृत्या की संस्थापक तथा महोत्सव की निदेशक रति
सक्सेना ने प्रास्ताविक वक्तव्य में कहा कि जमीन से जुड़ी कला, साहित्य, संस्कृति और कविता को वैश्विक स्तर पर जोड़ने
का काम कृत्या करती रही है। आज मानवता के प्रति बढ़ते संकट की स्थिति में कविताएं
हमें अपनी जड़ों व परंपरा से जोड़ती है। कार्यक्रम के दौरान विश्वविद्यालय में
पहली बार कवि नरेश सक्सेना रचित कुलगीत छात्रों द्वारा गाया गया। महोत्सव का
उदघाटन देश-विदेश से आए कवियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन से किया गया। इस अवसर पर
कृत्या महोत्सव कविता संग्रह का विमोचन कुलपति श्री राय तथा मंचस्थ अतिथियों
द्वारा किया गया। समारोह का संचालन डॉ. प्रीति सागर तथा बंगला कवि सुबोध सरकार ने
किया। महोत्सव के आयोजन सचिव राकेश मिश्र ने आभार व्यक्त किया।
गौरतलब है कि इस महोत्सव में देश-विदेश के 50
अधिक कवि एवं कलाकार शामिल हैं, जिसमें ग्रीस, तुर्की, चिले, आयरलैंड, फिनलैंड,
इस्टोनिया, फ्रांस, दक्षिण अफ्रीका, इटली, नार्वे, फिलीस्तीन आदि देशों के कवि
वर्धा विश्वविद्यालय में आए हैं। भारत से गुजराती, हिंदी, मराठी, मलयालम, पंजाबी,
मैथिली, अंग्रेजी, उडिया, कन्नड आदि भाषाओं के कवि भी महोत्सव में उपस्थित हुए हैं।
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