हिंदी विश्वविद्यालय में हिंदी ब्लॉगिंग व सोशल मीडिया पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का उदघाटन
हिंदी विश्वविद्यालय शुरू करेगा ‘चिठ्ठा समय’ –विभूति नारायण राय
हिंदी ब्लॉगिंग की दुनिया में एक नया अध्याय शुरू होने वाला है और
वह महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा शुरू करेगा। विश्वविद्यालय
जल्द ही हिंदी ब्लॉगरों को जोड़ने वाला ‘चिठ्ठा समय’ के नाम से एग्रिगेटर शुरू
करेगा जिसमें हिंदी ब्लॉगिंग की दुनिया से जुड़े समस्त ब्लॉगर चिठ्ठा समय पर
पढ़े जा सकेंगे। इसकी घोषणा विश्वविद्यालय के कुलपति विभूति नारायण राय ने
शुक्रवार को विश्वविद्यालय में देशभर से आए ब्लॉगरों की उपस्थिती में की। मौका
था दो दिवसीय (दि. 20 एवं 21 सितंबर) हिंदी ब्लॉगिंग व सोशल मीडिया पर राष्ट्रीय
संगोष्ठी के उदघाटन का।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति विभूति नारायण राय ने कहा कि
सोशल मीडिया ने नयी पीढ़ी में परिवर्तन के बीच बोये है। इस विधा ने समस्त मीडिया
जगत में क्रांतिकारी परिवर्तन लाया है और विकास की एक नयी दिशा दी है। सोशल मीडिया
के इस्तेमाल के लिए राज्य के हस्तक्षेप से नियंत्रण होगा और इससे अभिव्यक्ति की
आजादी नहीं मिल सकेगी, इसलिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते समय हमें आत्मनियंत्रण
की आवश्यकता है। जिससे हम अपने आप को सहज अभिव्यक्त कर सकेंगे। इस अवसर पर प्रतिकुलपति
प्रो. ए. अरविंदाक्षन, संचार एवं मीडिया अध्ययन केंद्र के निदेशक प्रो. अनिल
कुमार राय, नाटयकला एवं फिल्म अध्ययन विभाग के अध्यक्ष प्रो. सुरेश शर्मा,
जाने-माने ब्लॉगर कार्तिकेय मिश्र, प्रवीण पांडे मंचासिन थे। इस संगोष्ठी में देशभर
से तीस से अधिक ब्लॉगर तथा 150 से अधिक प्रतिभागी सहभागी हुए है।
कुलपति राय ने कहा कि
हिंदी एक ऐसी भाषा है जो अपनी प्रकृति से नयी चीजों को ग्रहण करती है। हिंदी का एक
समावेश चरित्र है जिसमें अनेक बोलियां शामिल हैं। हिंदी समयडॉटकॉम की सफलता को
रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि क्लासिक रीडर डॉटकॉम की तर्ज पर हमने यह
वेबसाइट आरंभ की। इस वेबसाइट पर अभी तक एक लाख से अधिक पृष्ठों की हिंदी सामग्री
उपलब्ध है। हर महिने 3 से 4 हजार पृष्ठ हम डाल रहे है। यह वेबसाइट केवल भारत में
ही नहीं अपितु विश्व के हिंदी समाज में भी लोकप्रिय हो गई है। हिंदी ब्लॉगिंग के
लिए सांस्थानिक समर्थन का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में
हिंदी ब्लॉगिंग से संबंधित जितने भी ब्लॉग है उसका संकलक (एग्रिगेटर) हिंदी विश्वविद्यालय
बनना चाहता है। उन्होंने विश्वास जताया कि अध्यापक, तकनीकी कर्मी और छात्रों के
मदद से हम यह काम करने में सफल होंगे। कार्यक्रम का प्रारंभ विश्वविद्यालय के
कुलगीत से हुआ, जिसे विभिन्न विभागों के छात्रों ने प्रस्तुत किया। स्वागत वक्तव्य
प्रो. अनिल कुमार राय ने दिया। छीटें और बौछारे इस ब्लॉग के लेखक रवि रतलामी ने
ऑडिओ विजुअल माध्यम से सीधे संवाद किया, जिसमें आकाशवाणी के यूनुस खान ने अपनी
सुमधुर आवाज से उन्होंने लिखे वक्तव्य को श्रोताओं तक पहुंचाया। अपनी प्रस्तुति
करने में रतलामी ने माना कि हिंदी ब्लॉगिंग की चमक उत्तरोत्तर बढ़ती जा रही है।
उन्होंने एनडीटीवी के रविश कुमार का ब्लॉग कस्बा, विनीत कुमार का हुंकार तथा
हमारी वाणी आदि का उल्लेख करते हुए ब्लॉग की विकास यात्रा पर प्रकाश ड़ाला। इस
संगोष्ठी में शामिल हुए सबसे कम उम्र के ब्लॉगर कार्तिकेय मिश्र ने दो दिन में
होने वाली चर्चा का बौरा प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर
वाद-विवाद ही नहीं संवाद भी होना चाहिए। उन्होंने पहली ब्लॉगर जॉन बार्जर का उल्लेख
करते हुए हिंदी ब्लॉगिंग में साहित्यकारों की रूची को रेखांकित किया। प्रवीण
पांडे ने ब्लॉगिंग के लिए सांस्थानिक समर्थन की बात करते हुए कहा कि ब्लॉगिंग
के प्रवाह को बचाने और भविष्य की पीढ़ी के लिए इसे एक दस्तावेज के रूप में रखने
के लिए सांस्थानिक समर्थन की जरूरत है।
प्रतिकुलपति प्रो. ए. अरविंदाक्षन ने अपने वक्तव्य में हिंदी, हिंदीतर
और वैश्विक समाज के साथ हिंदी ब्लॉगिंग को समर्थ करने की बात कही। कार्यक्रम के
दौरान हर्षवर्धन त्रिपाठी ने पीआईबी की तर्ज पर ब्लॉगरों को एक्रिडेशन देने की
बात कही। समारोह का संचालन संगोष्ठी के संयोजक सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी ने किया
तथा धन्यवाद ज्ञापन प्रो. सुरेश शर्मा ने किया। समारोह में श्रीमती पद्मा राय,
प्रौद्योगिकी अध्ययन केंद्र के निदेशक विजय कौल, एसोसिएट प्रो. जगदीप सिंह दांगी,
डॉ. वीरपाल सिंह यादव, डॉ. सतीश पावडे,
अशोक मिश्र, राजेश यादव, बी. एस. मिरगे, अमित विश्वास, राजेश लेहकपुरे, डॉ. अख्तर
आलम, गिरीश पाण्डेय, अंजनी राय, समेत ब्लॉगर
आलोक कुमार, डॉ. विपुल जैन, अनूप शुक्ल, डॉ. अरविन्द मिश्र, संतोष त्रिवेदी,
अविनाश वाचस्पति, रचना त्रिपाठी, शैलेश भारतवासी, डॉ. प्रवीण चोपडा, अनिल सिंह,
शकुन्तला शर्मा, संजीव कुमार सिन्हा, डॉ. अशोक कुमार मिश्र, डॉ. बलिराम धापसे,
पंकज कुमार झा, डॉ. मनोज कुमार मिश्र, शशि शर्मा तथा छात्र एवं छात्राएं प्रमुखता
से उपस्थित थे।
लेख के लिए बधाई स्वीकार करें.. सुंदर प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंचिट्ठासमय ऐग्रीगेटर का इंतज़ार रहेगा, इस तरह के ऐग्रीगेटर की डिमांड बहुत ज़्यादा है।
सुन्दर प्रस्तुति. हम एसोसिएट प्रो. जगदीप सिंह डांगी जी से मिलना चाह रहे थे किन्तु यह संभव नहीं हो पाया. इस आयोजन के लिए आप सभी का धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंकृपया इस बारे में भी अवश्य विचार किया जाए कि एग्रीगेटर बनाने का मूल विचार कहां से आया और उस स्त्रोत का उल्लेख करने से सब क्यों बचते रहे। दूसरा ब्यौरा को बौरा, चिट्ठा समय को चिठ्ठा समय लिखने जैसी त्रुटियों से बचा जा सकता था।
जवाब देंहटाएंhttp://www.nukkadh.com/2013/09/15-2013.html एक बार इस पोस्ट को भी अवश्य पढ़ लीजिएगा।
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