प्राकृतिक संसाधनों पर समाज का हक हो राज्य का नहीं - रामजी सिंह
भारतीय गांधी अध्ययन समिति के 36 वें वार्षिक राष्ट्रीय अधिवेशन का उदघाटन
उदघाटन समारोह में स्वागत वक्तव्य में कुलपति
विभूति नारायण राय ने कहा कि 80 वर्ष पहले गांधीजी के चरण वर्धा की भूमि पर पड़े
थे। उन्होंने यहां 14 वर्ष रहकर अपने विचार-दर्शन के लिए एक उपयुक्त स्थान माना
था। गांधी जी ने यहां अपने सपनों के कई कार्यक्रम शुरू किये थे, यह विश्वविद्यालय
भी उनके सपनों के एक कार्यक्रम के तहत स्थापित हुआ है। कुलपति राय ने देशभर से
आएं प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए विश्वविद्यालय में चल रहे विभिन्न
विकासात्मक कार्यक्रम एवं उपक्रमों की जानकारी अपने स्वागत वक्तव्य में दी। भारतीय
गांधी अध्ययन समिति के अध्यक्ष डॉ. शिवराज नाकाडे ने अपने वक्तव्य में कहां कि
सतत विकास के लिए पर्यावरण एक अहम मुद्दा है। जमीन, प्राकृतिक व्यवस्था, जीव और
जंतू, कोयला, लोहा और तेल तथा समुद्र यह हमारे प्राकृतिक संसाधन है। इन संसाधनों की
समाज को जरूरत है। भावी पीढ़ी के लिए पर्यावरण को बचाना हमारे सामने वर्तमान
चुनौती है। उन्होंने गांधीजी के आर्थिक विकास के सिद्धांत का जिक्र करते हुए कहां
कि स्वदेशी तत्व ही आर्थिक विकास के केंद्र के रूप में गांधीजी के दर्शन से
दिखता है। गांधी जी ने ग्रामीण औद्योगिकरण और स्थानीय श्रमिकों के योगदान को ग्रामीण
अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए आधार माना था। डॉ. नाकाडे ने वसुधैव कुटुंबकम का सिद्धांत
गांधी दर्शन से अमल में लाने की बात करते हुए सत्य, अहिंसा, शांति, सहअस्तित्व,
विकेंद्रीकरण आदि विषयों की चर्चा अपने उदबोधन में की। इस असवर पर डॉ. नाकाडे ने
एल.एन. मिथिला विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एस. एन. झा का संदेश पढ़कर सुनाया। प्रो.
सुदर्शन आयंगार ने बीज वक्तव्य दिया। अपने वक्तव्य में उन्होंने प्राकृतिक
संसाधनों की राजनीति और स्वामित्व का प्रश्न इस मुद्दे पर अपनी बात रखी। उन्होंने
कहा कि प्राकृतिक संसाधनों पर किसका अधिकार होना चाहिए इसपर चर्चा होनी चाहिए क्योंकि
आज जल, जंगल और जमीन की राजनीति गरमायी हुई है। 1980 में विश्व की आबादी एक अरब
थी, आज सात अरब के ऊपर जा रही है। ऐसी स्थिति में प्राकृतिक संसाधनों पर मानव
बढ़ना जाहीर सी बात है। समिति के महासिचव अनिल कुमार झा ने भी समयोचित वक्तव्य
दिया। कार्यक्रम का प्रारंभ अतिथियों द्वारा दीप प्रजव्लन से किया गया। विश्वविद्यालय
के छात्रों ने विश्वविद्यालय का कुलगीत प्रस्तुत किया। समारोह का संचालन राकेश
मिश्र ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन अधिवेशन के स्थानीय सचिव डॉ. नृपेंद्र प्रसाद
मोदी ने प्रस्तुत किया। समारोह में देशभर से आये 200 से अधिक विद्वान तथा सामाजिक
कार्यकर्ता, विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएं तथा वर्धा के गणमान्य नागरिक बड़ी
संख्या में उपस्थित थे।
लोकनायक
जयप्रकाश नारायण भवन का उदघाटन और गांधी प्रतिमा पर माल्यार्पण
उदघाटन समारोह से पूर्व मुख्य
अतिथि रामजी सिंह, सुदर्शन आयंगार, कुलपति विभूति नारायण राय, नृपेंद्र प्रसाद
मोदी, प्रो. मनोज कुमार आदि ने गांधी हिल्स पर बनी गांधी प्रतिमा पर पुष्पांजलि
अर्पित कर अभिवादन किया तथा परिसर में वृक्षारोपण किया। इसके पश्चात संस्कृति
विद्यापीठ भवन का नामकरण लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नाम पर किया गया। भवन के
सामने जयप्रकाश नारायण की प्रतिमा का अनावरण न्यायमूर्ति चंद्रशेखर धर्माधिकारी,
रामजी सिंह, सुदर्शन आयंगार, कुलपति विभूति नारायण राय, नृपेंद्र प्रसाद मोदी,
प्रो. मनोज कुमार की उपस्थिति में किया गया।
तीन दिवसीय अधिवेशन में ‘प्राकृतिक संसाधन :
मुद्दे और चुनौतियां, ‘प्राकृतिक संसाधनों
का संरक्षण’, ‘जल, जंगल और जमीन का
संरक्षण’, ‘संसाधन और संघर्ष :
बाहर निकलने के गांधीवादी रास्ते’, ‘संपत्ति पर
नियंत्रण का सवाल : हिंसक बनाम अहिंसक संघर्ष’, ‘सभ्यता का संकट और
उसका समाधान’, ‘राष्ट्र राज्य की
केंद्रीयता और स्वराज का विकेंद्रीकरण’, ‘विकास और न्यासिता
: वैचारिक विश्लेषण’ तथा ‘सुशासन और धारणीय
विकास’ इन विषयों चर्चा
होगी। इस अधिवेशन का एक सत्र 28 सितंबर को गांधी विचार की प्रेरणास्थली सेवाग्राम
स्थित शांति भवन, बुनियादी तालीम के परिसर में सम्पन्न होगा।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें