रविवार, 29 सितंबर 2013

भारतीय गांधी अध्ययन समिति के तीन दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन का समापन



     मानवता को बचाने का रास्‍ता गांधी विचारों में ही  –कुलपति विभूति नारायण राय

  
महात्‍मा गांधी के विचार-चिंतन से ही हमें मानवता को बचाने का रास्‍ता मिल सकता है। अनेक प्रकार की समस्‍याएं दूर करने और विनाश से बचने के लिए हमें गांधी के पास जाना चाहिए। विकास के नये रास्‍ते तलाशने के लिए यह तीन दिवसीय चिंतन काम आएगा। उक्‍त आशय के विचार कुलपति विभूति नारायण राय ने रखे। वे महात्‍मा गांधी अंतरराष्‍ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय में 27 सितंबर से चल रहे भारतीय गांधी अध्ययन समिति के 36 वें तीन दिवसीय वार्षिक राष्‍ट्रीय अधिवेशन के समापान समारोह में कार्यक्रम की अध्‍यक्षता करते हुए बोल रहे थे। रविवार दि. 29 को सम्‍पन्‍न हुए समापन समारोह में भारतीय गांधी अध्‍ययन समिति के अध्‍यक्ष डॉ. शिवराज नाकाडे, वर्धा स्थित गांधी विचार परिषद के निदेशक भरत महोदय, मगन संग्रहालय की अध्‍यक्ष विभा गुप्‍ता, समिति के महासचिव डॉ. अनिल कुमार झा तथा अधिवेशन के स्‍थानीय सचिव डॉ. नृपेंद्र प्रसाद मोदी मंचासीन थे।
कुलपति राय ने सभी प्रतिभागियों के प्रति आभार ज्ञापित करते हुए अधिवेशन विश्‍वविद्यालय में आयोजित करने के लिए भारतीय गांधी अध्‍ययन समिति के प्रति धन्‍यवाद व्‍यक्‍त किया।
समारोह में विभा गुप्‍ता ने मगन संग्रहालय का परिचय देते हुए कहा कि हमें छोटी-छोटी कलाएं और भाषाओं की अभिव्‍यक्ति को बचाना चाहिए। भरत महोदय ने माना कि नयी पीढी ऊर्जावान है। इस पीढी को शिक्षा के द्वारा जीवन का अर्थ बताया जाए ताकि वे नये रास्‍ते का चुनाव कर सके। डॉ. शिवराज नाकाडे ने आग्रह किया कि समिति में अधिक से अधिक संख्‍या में युवकों को शामिल करना चाहिए। स्‍थानीय सचिव डॉ. नृपेन्‍द्र प्रसाद मोदी ने सभी के प्रति आभार व्‍यक्‍त करते हुए कहा कि कुलपति राय के मार्गनिर्देशन में और सभी समितियों के सदस्‍यों की कड़ी मेहनत से यह अधिवेशन सफलता की उंचाई को प्राप्‍त कर सका।   
इस अवसर पर उत्‍कृष्‍ट आलेख के लिए सोहनराज लक्ष्‍मीदेवी तातेड़ पुरस्‍कार का वितरण किया गया जिसका प्रथम पुरस्‍कार विश्‍वविद्यालय की शोधार्थी अर्चना शर्मा को कुलपति विभूति नारायण के द्वारा दिया गया। द्वितीय पुरस्‍कार बिहार से आए प्रतिभागी राजीव रंजन को तथा तृतीय पुरस्‍कार राजस्‍थान से आयी सीमा कुंजारा को मिला। पुरस्‍कार चयन समिति में साहित्‍य विद्यापीठ के अधिष्‍ठाता प्रो. सूरज पालीवाल, भाषा विद्यापीठ के असोसिएट प्रोफेसर डॉ. अनिल कुमार पाण्‍डेय तथा महात्‍मा गांधी फ्युजी गुरूजी शांति अध्‍ययन केंद्र के निदेशक प्रो. मनोज कुमार ने बतौर निर्णायक भूमिका निभायी। समारोह का संचालन साहित्‍य विद्यापीठ की रीडर डॉ. प्रीति सागर ने किया तथा तथा धन्‍यवाद ज्ञापन भारतीय गांधी अध्‍ययन समिति के महासचिव डॉ. अनिल कुमार झा ने प्रस्‍तुत किया। प्रारंभ में भारती देवी और अमृत अर्णव ने सत्र की रिपोर्ट प्रस्‍तुति की।  

27-29 सितंबर को आयोजित अधिवेशन का मुख्‍य विषय ‘‘प्राकृतिक संसाधनों की राजनीति और स्‍वामित्‍व का प्रश्‍न : गांधीवादी हस्‍तक्षेप’’ रखा गया था। इसके अलावा विभिन्‍न उपविषयों पर 9 सत्रों में विचार-विमर्श किया गया। अधिवेशन का एक दिन सेवाग्राम आश्रम में रखा गया था। इस अधिवेशन में देशभर से विद्वान, कार्यकर्ता और शोधार्थियों ने हिस्‍सा लिया था।
इस दौरान साहित्‍यकार से. रा. यात्री, श्रीमती पद्मा राय, साहित्‍य विद्यापीठ के अधिष्‍ठाता प्रो. सूरज पालीवाल, प्रो. मनोज कुमार, डॉ. डी. एन. प्रसाद, डॉ. एम. एस. दादागे, डॉ. सुधीर जेना, सहायक प्रोफेसर डॉ. अशोक नाथ त्रिपाठी, डॉ. रामानुज अस्‍थाना, डॉ. बीर पाल सिंह यादव, राकेश मिश्र, चित्रा माली, विशेष कर्तव्‍य अधिकारी नरेंद्र सिंह, बी. एस. मिरगे, राजीव पाठक, तुषार वानखेडे, अमित विश्‍वास आदि समेत प्रतिभागी, शोधार्थी एवं छात्र-छात्राएं प्रमुखता से उपस्थित थे।

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