सूचना के युग में मानचित्रण का महत्व बढ़ाः डा पृथ्वीश नाग
देश के सुप्रसिद्ध भूगोलविद और महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति डा.
पृथ्वीश नाग ने कहा है कि सूचना तकनीक के युग में मानचित्रण का महत्व बहुत बढ़ गया
है। डा. नाग आज महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के कोलकाता
केंद्र में मानचित्रण का इतिहास विषय पर व्याख्यान दे रहे थे। उन्होंने कहा कि
मोबाइल जैसे उत्तर आधुनिक संचार उपकरणों में मानचित्रण के माध्यम से दैनिक उपयोग
की सारी सूचनाएं जल्द ही सर्वसुलभ होने लगेंगी। मसलन जिस इलाके का मानचित्र
प्रेक्षक देखेगा, उसे उस अंचल की सभी सूचनाएं यथा अस्पताल, स्कूल, पुलिस थाने एवं
रास्तों की जानकारी मिल जाएगी। यहां तक कि उसे रेस्टोरेंट के मेनू, अस्पताल में
चिकित्सकों की उपलब्धता की सूचना भी मिल जाएगी। उन्होंने कहा कि मानचित्रण अक्षांस
देशांतर के हिसाब से चलता है। हर मानचित्र का अपना उद्देश्य होता है। उन्होंने कहा
कि आज डिजिचल मानचित्र तकनीकी दृष्टि से बहुत समृद्ध हैं किंतु प्राचीन काल के
मानचित्र कलात्मक हुआ करते थे।
डा. नाग ने सैकड़ों वर्षों के
मानचित्रण के इतिहास को पावर प्वाइंट के माध्यम से प्रस्तुत करते हुए दिखाया कि
मध्यकाल के मानचित्रों का रुझान वाणिज्यिक यात्राओं की सूचनाओं के आधार पर तैयार
किया जाता था जो परवर्ती काल में सूचनाओं की उपलब्धता के कारण आधुनिक मानचित्र की
शक्ल लेने लगा। उन्होंने कहा कि मध्यकालिक मानचित्रों में कई कमियां रह जाती थीं
किंतु आधुनिक लेजर तकनीक के कारण आज किसी भी स्थान का वास्तविक मानचित्र उपलब्ध
होने लगा है जो आभासी त्रिआयामी ऊंचाई-निचाई और यहां तक कि उर्ध्वाधर एवं क्षैतिज
अवैध निर्माण को भी चिन्हित करता है। डा. नाग ने बताया कि अली बंधुओं एवं
अंग्रेजों के बीच मैसूर की लड़ाई में सबसे पहले विश्व में राकेट के प्रक्षेपण की घटना
हुई थी। उसी का विकसित रूप आज के प्रक्षेपास्त्रों में देखा जा सकता है। उन्होंने
बताया कि हैदर बंधुओं के राकेट प्रक्षेपण की तस्वीर नासा की चित्र दीर्घा में लगी
हुई है। व्याख्यान के बाद डा. नाग से संवाद कार्यक्रम हुआ। साहित्य के अध्येता
शिवप्रिय के प्रश्न के उत्तर में डा. नाग ने कहा कि कंप्यूटर की गणनाओं पर आधारित
आज की आक्रात्मक सूचनाओं और प्राचीन काल के भारतीय मनीषियों द्वारा ईजाद की गई
गणना पद्धतियों में अद्भुत समानता देखी जा सकती है। वरिष्ठ साहित्यकार डा.
प्रमथनाथ मिश्र के सवाल के जवाब में डा. नाग ने कहा कि भारत के किसी भी प्रामाणिक
मानचित्र के लिए सर्वे आफ इंडिया के जारी किए गए मानचित्र प्रयोग में लाए जाने
चाहिए। काचरापाड़ा कालेज की हिंदी विभागाध्यक्ष सुनीता मंडल के सवाल के जवाब में
उन्होंने कहा कि मानचित्रण के दुरुपयोग की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता। इस
अवसर पर विश्वभारती विश्वविद्यालय, शांतिनिकेतन में भूगोल के एसोसिएट प्रोफेसर डा.
गोपाल चंद्र देवनाथ ने मानक मानचित्र बनाए जाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने
बताया कि बोलपुर का मानक मानचित्र बनाया जा रहा है। कार्यक्रम का संचालन जेके
भारती ने और स्वागत भाषण तथा धन्यवाद ज्ञापन डा. कृपाशंकर चौबे ने किया। इस
कार्यक्रम में बंगाल के विभिन्न विश्वविद्यालयों के विद्यार्थी तथा शोधार्थी
उपस्थित थे। इस विशेष व्याख्यान कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार हरिराम
पांडेय ने की।
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