हिंदी विश्वविद्यालय में ‘भारतेन्दु चरित नाटक’ का मंचन
‘छात्र रंग-मंडल’ के छात्रों की प्रस्तुति
“हिन्दी का दूसरा समय” इस पांच दिवसीय समारोह में दूसरे दिन सांस्कृतिक
संध्या के अंतर्गत लेखक अजित पुष्कल द्वारा लिखित ‘भारतेन्दु चरित’ नाटक की प्रस्तुति की गई। नाट्यकला एवं फिल्म
अध्ययन विभाग के संरक्षण में गठित ‘छात्र रंग-मंडल’ की यह प्रथम प्रस्तुति थी, जिसका निर्देशन विभाग के शोध-छात्र अश्विनी कुमार सिंह ने किया। हिन्दी विश्वविद्यालय का सपना देखने वाले
तथा हिन्दी भाषा और साहित्य के पुरोधा ‘भारतेन्दु हरिश्चंद्र’ को समर्पित यह प्रस्तुति अत्यंत सराहनीय रही।
नाटक मे भारतेन्दु के रचनात्मक संघर्ष और जीवन पद्धति को दिखाने का कुशल
प्रयास किया गया। इस दृष्टि से नाटक की भाषा और परिवेश का विशेष ध्यान रखा गया।
नाटक की हर घटना, भारतेन्दु की मस्ती, प्रेम, चिंतन, सुधार, जीवन पद्धति और संघर्ष को सामने रखती है ताकि समग्रता मे उनके व्यक्तित्व को
पहचाना जा सके। प्रस्तुति के दौरान हिन्दी के वरिष्ठ साहित्यकार नामवर सिंह, डॉ. निर्मला जैन, ममता कालिया, काशीनाथ सिंह, से. रा. यात्री, संजीव आदि अनेक विद्वानों सहित प्रो. सुरेश शर्मा, डॉ. विधु खरे दास, डॉ. सतीश पावडे, रयाज हसन तथा विश्वविद्यालय के
शिक्षक और विद्यार्थी उपस्थित थे। सभी ने नाटक की मुक्त कंठ से प्रशंसा करते हुए
छात्र रंग-मण्डल को अपनी शुभकामनाएँ दी ।
नाटक मे नाट्यकला एवं फिल्म अध्ययन विभाग से भारतेन्दु- चैतन्य आठले, मल्लिका- रश्मि पटेल, साहित्य विभाग की छात्रा- मेघा दत्त, मुनीम- यदुवंश, कपड़ावाला- गजेंद्र पांडे,
प्रौद्योगिकी अध्ययन विभाग
से सूत्रधार- अरविंद रावत, स्त्री अध्ययन विभाग से मुंशी- श्याम प्रकाश, गायिका- आरती कुमारी, कोरस मे अभिलाषा श्रीवास्तव, सारंग, पूजा प्रजापति, अरुणिमा प्रियदर्शनी
ने सराहनीय भूमिकाएँ निभाई । कोरस संगीत- गजेंद्र कुमार पांडे तथा आडियो ध्वनि- संयोजन प्रवीण सिंह चौहान ने तैयार किया,
इसे रवि मुंढे ने सहयोग
किया। प्रकाश संयोजन- धर्मप्रकाश, वस्त्र विन्यास- सुनीता कुमारी थापा, रूप सज्जा- मनीष कुमार, सुनीता थापा, रंग-सामग्री प्रबंधन- अभिषेक कुमार, श्वेता क्षीरसागर का था। प्रस्तुति प्रबंधन एवं मंच
विन्यास- मनीष कुमार का था, जिन्हे अभिषेक कुमार, अक्षय कुमार ,गौरव मिश्र एवं अशोक
वैरागी ने सहयोग किया।
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