सार्क देशों की भाषाओं का
अध्ययन केंद्र बनेगा हिंदी विविः विभूति नारायण राय
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय
हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति विभूति नारायण राय ने कहा है कि भारत सदियों से
ज्ञान के क्षेत्र में विश्व का नेतृत्व करता रहा है। इस कड़ी में आनेवाले समय में
उनका विश्वविद्यालय चरणबद्ध ढंग से विश्व की समस्त भाषाओं में समन्वय कायम करने की
दिशा में क्रियाशील हो चुका है। श्री राय विश्वविद्यालय के कोलकाता केंद्र में
अन्य भारतीय भाषाओं में हिंदी की व्याप्ति पर आयोजित संगोष्ठी में अध्यक्षीय
वक्तव्य दे रहे थे। उन्होंने कहा कि उनका विश्वविद्यालय हिंदी को विश्वभाषा बनाने
का गंभीर प्रयास कर रहा है। श्री राय ने कहा कि विश्व के शताधिक विश्वविद्यालयों
में हिंदी पढ़ाई जाती है और वहां के हिंदी पाठ्यक्रम के निर्माण का दायित्व
जोहानिसबर्ग में हाल में संपन्न विश्व हिंदी सम्मेलन में उनके विश्वविद्यालय को
मिला और इसी बीच विदेशों में हिंदी पढ़ानेवाले शिक्षकों के सहयोग से एक मानक
पाठ्यक्रम का निर्माण कर लिया गया है। यह पाठ्यक्रम हिंदी पढ़नेवाले विदेशी
छात्रों के लिए एक उच्च मानक संपन्न व्यावहारिक पाठ्यक्रम होगा। श्री राय ने कहा
कि विश्वविद्यालय के कोलकाता केंद्र ने बांग्ला, नेपाली और तमिल जैसी विश्व भाषाओं
के साथ हिंदी का संबंध प्रगाढ़ करने तथा उनसे साहित्यिक संबंध जोड़ने की दिशा में
पहल शुरू कर दी है। सार्क देशों की भाषाओं के क्लासिक साहित्य का अनुवाद व
साहित्यिक अध्ययन विवि के कोलकाता केंद्र की सर्वोच्च प्राथमिकता में शामिल है। इस
संदर्भ में श्री राय ने विवि के एसोसिएट प्रोफेसर तथा कोलकाता केंद्र के प्रभारी
डा. कृपाशंकर चौबे की भूमिका की भूरि-भूरि प्रशंसा की।
संगोष्ठी को संबोधित करते
हुए नेपाली कवि तथा कोलकाता में नेपाल के महावाणिज्य दूत चंद्र घिमिरे ने कहा कि
नेपाल में हिंदी साहित्य का हर युग में प्रभाव रहा है। खुद उनकी पीढ़ी हिंदी के
अनेक लेखकों को पढ़ते हुए बड़ी हुई। हिंदी व नेपाली भाषा के अंतर्संबंधों को
अलगाकर देखना अत्यंत कठिन कार्य है। उड़िया की कई कृतियां हिंदी में तथा हिंदी की
कृतियां उड़िया में अनुवाद करनेवाले हिंदी के सुपरिचित साहित्य समालोचक प्रोफेसर
अरुण होता ने हिंदी और उड़िया के अंतर्संबंधों को व्याख्यायित करते हुए दोनों
भाषाओं को नाभिनालबद्ध बताया। इस अवसर पर हाल में मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी
द्वारा रामचंद्र शुक्ल राष्ट्रीय आलोचना पुरस्कार प्राप्त डा. अरुण होता का हिंदी
विवि की तरफ से सम्मान किया गया। कुलपति विभूति नारायण राय ने प्रो. अरुण होता का
अंगवस्त्रम प्रदान कर सम्मान किया। संगोष्ठी को संबोधित करते हुए युवा साहित्यकार
जे.के भारती ने कहा कि असमिया तथा हिंदी में अनेक समानताएं हैं एवं संस्कृत का
व्यापक प्रभाव असमिया पर देखा जा सकता है। स्वागत भाषण विवि के असिस्टेंट प्रोफेसर
तथा सुपरिचित युवा कथाकार राकेश मिश्र ने संचालन डा. कृपाशंकर चौबे ने तथा धन्यवाद
ज्ञापन विवि के नेहरु अध्ययन केंद्र के रिसर्च एसोसिएट शिवप्रिय ने किया।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें