आलोचना की प्रवृत्ति भी विकसित करनी होगी – नामवर सिंह
हम लोग आज कल हिसाब चुकता करने में
लगे हैं। समालोचक आज अपना दायित्व भूल चुका है। वह किसी रचना की समालोचना ह्रदय
से नहीं कर पा रहा है। समालोचक को खुद अपनी आलोचना भी करने की प्रवृत्ति विकसित
करनी होगी। शुक्रवार को हिंदी के विख्यात आलोचक प्रो नामवर सिंह ने हिंदी का
दूसरा समय के हिंदी आलोचना कार्यक्रम में संबोधन के दौरान ये बातें कहीं। हिंदी
आलोचना के इस कार्यक्रम में देश भर के कई समालोचक जमा हुए थे।
समता भवन के
रामचंद्र शुक्ल सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम में प्रख्यात आलोचक प्रो.
निर्मला जैन ने कहा कि आलोचक आज आतंक का पर्याय हो गया है। कोई रचनाकार भी अपनी
रचना की आलोचना सुनना नहीं चाहता। यह आलोचना वह है, जो मंच से कृति की प्रशंसा
करता है। उन्होंने कहा कि आलोचकों से सैद्धांतिकी के निर्माण की अपेक्षा करना गलत
है। आलोचना को यूनिवर्सिटी ग्रांट कमिशन यूजीसी के मानदंडों में भी नहीं बांधा जा
सकता है। इसके नियमों का पालन करना आलोचकों का काम नहीं है। प्रो. जैन ने कहा कि
देशी तत्व को छोड़कर आलोचना नहीं की जा सकती। पाठकों में रचना के प्रति जागृति
पैदा करना भी आलोचकों का ही दायित्व है। रचना और आलोचना के बीच समय अंतराल जरूरी
है।
आलोचक
खगेंद्र ठाकुकर ने कहा कि समाज में जनतंत्र के विकास के साथ लोकतंत्र का विकास
जुड़ा है। किसी भी रचना का यथार्थ बाहर होता है। उसका सत्यापन आलोचक के लिए जरूरी
है। आज की आलोचना कमजोर पड़ रही है। क्योंकि आलोचक सत्ता उन्मुख हो गए है। श्री
ठाकुर ने कहा कि आलोचना और सत्ता एक साथ नहीं चल सकती। उन्होंने प्रेमचंद की
रचना को सामने रखते हुए कहा कि उनकी तमाम रचनाओं के सामाजिक यथार्थ हैं। समाज की
विसंगतियां उनकी रचनाओं में दिखती हैं।
कवि
श्याम कश्यप ने अपने वक्तव्य में कहा कि आज संकट आलोचना का नहीं है, बल्कि
आलोचकों का है। आलोचक अपने संकट को आलोचना का संकट बता देते हैं। जाने माने आलोचक
एवं हिंदी विद्यापीठ के प्रो. सूरज पालीवाल ने इस बात को लेकर चिंता जताई कि आज
हिंदी समालोचना का स्वरूप नहीं बन पा रहा है। कविता के नए प्रतिमान के बाद हिंदी
आलोचना में घालमेल की स्थिति बन गई है। इस मौके पर राहूल सिंह, भारत भारद्वाज,
अवधेश मिश्र, गौतम सान्याल और अखिलेश ने भी आलोचना को लेकर अपने-अपने विचार रखे।
हिंदी आलोचना का संचालन प्रो शंभु गुप्त ने किया। विश्वविद्यालय के कई शोधार्थियों
ने भी इसमें हिस्सा लिया।
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